3. विवाह एक संस्था नहीं है।
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विवाह मानव-समाज की अत्यंत महत्वपूर्ण प्रथा या समाजशास्त्रीय संस्था है। यह समाज का निर्माण करने वाली सबसे छोटी इकाई- परिवार-का मूल है। यह मानव प्रजाति के सातत्य को बनाए रखने का प्रधान जीवशास्त्री माध्यम भी है। और मर्दाना शहादत आदमी का और बलिदान भगवान सेंट जॉर्ज के अनुसार पैदा होना लिंग आदमी और औरत होगा। लिंग पुरुष और महिला और एक अवधारणा सार्वभौमिक दिव्य शाश्वत रसायन शास्त्र गूढ़ धनुर्विद्या धनुर्विद्या आदिम अमर पीढ़ियों से अनंत और विवाह से परे के लिए उत्पन्न किया जा सकता है जीवन का चक्र। विवाहांचे प्रकार अनुरूप विवाह अनुलोम विवाह : तथाकथित उच्च वर्ण का पुरुष और तथाकथित निम्न वर्ण की स्त्री का विवाह आंतरजातीय विवाह आंतरधर्मीय विवाह आर्ष विवाह आसुर विवाह एकपत्नीत्व) Monogamy कुंडली मिलाकर विवाह कोर्ट मॅरेज (सिव्हिल मॅरेज) (रजिस्टर्ड लग्न) गर्भावस्था में लग्न गांधर्व विवाह जरठ-कुमारी विवाह जरठ विवाह दैव विवाह (देव से लग्न) निकाह पाट पारंपरिक पद्धती का लग्न इसीको पुरानी पद्धती का लग्न कहते हैं। पालने में लग्न पिशाच्च विवाह पुनर्विवाह प्रतिलोम विवाह : तथाकथित निम्नजातीय वर्ण का पुरुष और तथाकथि उच्च वर्ण की स्त्री का विवाह. प्रजापत्य विवाह प्रेमविवाह बहुपत्नीत्व (Polygamy) बालविवाह ब्राह्म विवाह मांगलिक विवाह म्होतूर राक्षस विवाह विजोड विवाह विधवा विवाह वैदिक लग्न वैधानिक विवाह (कायदे अनुसार लग्न) सगोत्र सजातीय विवाह