3. ਸੰਸਦੀ ਸਰਕਾਰ ਵਿੱਚ ਕਾਰਜਪਾਲਿਕਾ ਵਿਧਾਨਪਾਲਿਕਾ
yst fottera Jet ?/ In a Parliamentary form
of government executive is responsible
before legislature? / संसदीय रूप में
कार्यपालिका विधानमंडल के सामने जिम्मेदार है?
ठीव /True / सच
O 183 / False / 34869
Answers
Answer:
what the language you have written can't understand
संदर्भ
भारत का संविधान न तो ब्रिटेन की संसद से पारित हुआ और न ही यह किसी धर्म संहिता पर आधारित है। भारत के लोगों के संकल्प की प्रतिनिधि संस्था ‘संप्रभु संविधान सभा’ ने संविधान का निर्माण किया है, जिसकी प्रस्तावना ने हमारी आगे की दिशा तय की। संविधान सभा में काफी सोच-विचार और बहस-मुबाहिसे के बाद शासन की संसदीय व्यवस्था चुनी गई। केंद्र व राज्य दोनों ही स्तर पर शासन की संसदीय व्यवस्था को अपनाया गया। संविधान के अनुच्छेद 74 और 75 के अंतर्गत केंद्र में तथा अनुच्छेद 163 और 164 के अंतर्गत राज्यों में संसदीय प्रणाली की व्यवस्था की गई है।
भारत में शासन की संसदीय प्रणाली का चयन किया गया क्योंकि यह भारतीय संदर्भ में अधिक मुफीद और कारगर थी। इसका चयन करते समय हमारे संविधान निर्माताओं ने स्थायित्व की जगह जवाबदेही को महत्त्व दिया, परंतु वर्तमान में राजनीतिक दलों का उद्देश्य केवल सत्ता प्राप्त करना रह गया है। विधायी सदनों का कामकाज काफी लंबे समय से घटा है। बहस की गुणवत्ता लगातार घटी है। राजस्थान विधानसभा इस तथ्य का ज्वलंत उदाहरण है। इन घटनाओं से कुछ विशेषज्ञों ने भारत में अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली को अपनाने का सुझाव दिया है।
इस आलेख में संसदीय शासन व्यवस्था तथा अध्यक्षात्मक शासन व्यवस्था का तुलनात्मक अध्ययन किया जाएगा।
संसदीय शासन व्यवस्था से तात्पर्य
संसदीय प्रणाली (parliamentary system) लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की वह प्रणाली है जिसमें कार्यपालिका अपनी लोकतांत्रिक वैधता विधायिका के माध्यम से प्राप्त करती है और विधायिका के प्रति उत्तरदायी होती है।
इस प्रकार संसदीय प्रणाली में कार्यपालिका और विधायिका एक-दूसरे से परस्पर संबंधित होते हैं। इस प्रणाली में राज्य का मुखिया (राष्ट्रपति) तथा सरकार का मुखिया (प्रधानमंत्री) अलग-अलग व्यक्ति होते हैं। सरकार के गठन की प्रक्रिया
भारतीय संविधान में संसदीय शासन व्यवस्था के अंतर्गत मंत्रिमंडल के गठन से संबंधित संविधान के अनुच्छेद 74 और 75 बेहद महत्त्वपूर्ण हैं।
अनुच्छेद 74: अनुच्छेद 74 के तहत राष्ट्रपति द्वारा मंत्रिपरिषद का गठन किया जाता है, जिसके प्रमुख प्रधानमंत्री होते हैं। उनकी सहायता और सुझाव के आधार पर राष्ट्रपति मंत्रिमंडल पर सहमति देते हैं।
अनुच्छेद 75: प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है; वह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 75(i) की शक्तियों का प्रयोग करते हुए देश का प्रधानमंत्री नियुक्त करते हैं।
संसदीय प्रणाली की विशेषताएँ
बहुमत प्राप्त दल का शासन: आम (लोकसभा) चुनाव में सर्वाधिक सीटों पर जीत दर्ज करने वाला राजनीतिक दल सरकार बनाता है। भारत में राष्ट्रपति, लोकसभा में बहुमत प्राप्त राजनीतिक दल के नेता को सरकार बनाने के लिये आमंत्रित करते हैं। राष्ट्रपति बहुमत प्राप्त राजनीतिक दल के नेता को प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त करते हैं और शेष मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की सलाह पर करते हैं।
लोकसभा के प्रति सामूहिक उत्तरदायित्व: मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होती है। संसद का निम्न सदन अविश्वास प्रस्ताव पारित कर सरकार को बर्खास्त कर सकता है। जब तक सरकार को लोकसभा में बहुमत रहता है तभी तक सरकार को सदन में विश्वास प्राप्त रहता है।
नाममात्र एवं वास्तविक कार्यपालिका: भारत की संसदीय व्यवस्था में राष्ट्रपति नाममात्र की कार्यपालिका है तथा प्रधानमंत्री तथा उसका मंत्रिमंडल वास्तविक कार्यपालिका है।
केंद्रीय नेतृत्व: संसदीय शासन प्रणाली में प्रधानमंत्री वास्तविक कार्यकारी होते हैं। वे मंत्रिपरिषद के प्रमुख होते हैं।
दोहरी सदस्यता: मंत्रिपरिषद के सदस्य विधायिका व कार्यपालिका दोनों के सदस्य होते हैं।