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"महंगाई और पिसता आम आदमी " विषय पर 50 शब्दों मे दो आदमियों के बीच संवाद लिखे |
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again :D:D
1st. yaar mehngai bahut tezi se bhaagi jaa rhi h
2nd. han yaar mujhe samajh nhi aa rha ki kya karun
1st. mera wetan pura kharch ho jaa rha h . bachon k bhawisya k liye ek rupya v nhi bachta
2nd . sarkar v aise aise scheme nikalti h ki unse yaa to amir aur amir hote hain yaa to garib amir ho jaa te hain
1st . shi bolte ho mitr . hamare jaise aam aadmi iss mehngai bhari duniya me piste rh jaata hai
plzz brainliest:):)
1st. yaar mehngai bahut tezi se bhaagi jaa rhi h
2nd. han yaar mujhe samajh nhi aa rha ki kya karun
1st. mera wetan pura kharch ho jaa rha h . bachon k bhawisya k liye ek rupya v nhi bachta
2nd . sarkar v aise aise scheme nikalti h ki unse yaa to amir aur amir hote hain yaa to garib amir ho jaa te hain
1st . shi bolte ho mitr . hamare jaise aam aadmi iss mehngai bhari duniya me piste rh jaata hai
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11
__महंगाई से पिसताआम आदमी___
'राम प्रसाद ' सब्जी खरीदकर लौट रहे हैं रास्ते में उनकी मुलाकात ' रमेश झा' जी से होती है ।
_______________________________________________
राम प्रसाद : झा जी !!! नमस्कार , बताईये और सब कैसा चल रहा है । काफी दिनों बाद दिखें , आप तो ' ईद का चाँद ' हो गये ।
रमेश झा : नमस्कार !! ऐसी कोई बात नही है , बेटे को ईंजिनीयरिंग कॉलेज में दाखिला करवाने में व्यस्त था । ईतनी फिस बढ गई है कि क्या बताउँ।
राम प्रसाद: फिस तो बढेगी ही , यह महंगाई का असर है । अब ये देखिए , १०० की सब्जी , दो दिनों के लिए भी नही हुई । अगर ऐसा ही होता रहा , तो हम आदमी का क्या होगा । ये तो भगवान ही जाने।
रमेश झा : क्या होना है , महंगाई से हम आदमी ही तो पिसते हैं । आखिर कर भी क्या सकते हैं ।
दोनो अपने घर पहुँच गये।
'राम प्रसाद ' सब्जी खरीदकर लौट रहे हैं रास्ते में उनकी मुलाकात ' रमेश झा' जी से होती है ।
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राम प्रसाद : झा जी !!! नमस्कार , बताईये और सब कैसा चल रहा है । काफी दिनों बाद दिखें , आप तो ' ईद का चाँद ' हो गये ।
रमेश झा : नमस्कार !! ऐसी कोई बात नही है , बेटे को ईंजिनीयरिंग कॉलेज में दाखिला करवाने में व्यस्त था । ईतनी फिस बढ गई है कि क्या बताउँ।
राम प्रसाद: फिस तो बढेगी ही , यह महंगाई का असर है । अब ये देखिए , १०० की सब्जी , दो दिनों के लिए भी नही हुई । अगर ऐसा ही होता रहा , तो हम आदमी का क्या होगा । ये तो भगवान ही जाने।
रमेश झा : क्या होना है , महंगाई से हम आदमी ही तो पिसते हैं । आखिर कर भी क्या सकते हैं ।
दोनो अपने घर पहुँच गये।
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