Hindi, asked by nistumani2536, 1 month ago

300 ईसा पूर्व से 300 ईसवीं तक उत्तर भारत के समाज और अथव्यवस्था कि महत्वपूर्ण विशेषता

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Answered by aanjalikrialokraj
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भारत का आर्थिक विकास सिंधु घाटी सभ्यता से आरम्भ माना जाता है। सिंधु घाटी सभ्यता की अर्थव्यवस्था मुख्यतः व्यापार पर आधारित प्रतीत होती है जो यातायात में प्रगति के आधार पर समझी जा सकती है। लगभग 600 ई॰पू॰ महाजनपदों में विशेष रूप से चिह्नित सिक्कों को ढ़ालना आरम्भ कर दिया था। इस समय को गहन व्यापारिक गतिविधि एवं नगरीय विकास के रूप में चिह्नित किया जाता है। 300 ई॰पू॰ से मौर्य काल ने भारतीय उपमहाद्वीप का एकीकरण किया। राजनीतिक एकीकरण और सैन्य सुरक्षा ने कृषि उत्पादकता में वृद्धि के साथ, व्यापार एवं वाणिज्य से सामान्य आर्थिक प्रणाली को बढ़ाव मिल।

अगले 1500 वर्षों में भारत में राष्ट्रकूट, होयसल और पश्चिमी गंग जैसे प्रतिष्ठित सभ्यताओं का विकास हुआ। इस अवधि के दौरान भारत को प्राचीन एवं 17वीं सदी तक के मध्ययुगीन विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में आंकलित किया जाता है। इसमें विश्व के की कुल सम्पति का एक तिहाई से एक चौथाई भाग मराठा साम्राज्य के पास था, इसमें यूरोपीय उपनिवेशवाद के दौरान तेजी से गिरावट आयी।

Answered by Satchandi
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300 ईसा पूर्व से 300 ईसवीं तक उत्तर भारत के समाज और अर्थव्यवस्था की विशेषता

300 ईसा पूर्व से मौर्य काल ने भारतीय उपमहाद्वीप का एकीकरण किया था। जिसके परिणामस्वरूप राजनीतिक एकीकरण और सैन्य सुरक्षा अधिक मजबूत हुई और कृषि उत्पादकता में वृद्धि के साथ, व्यापार एवं वाणिज्य मैं भी बढ़ोतरी हुई l जिससे अर्थव्यवस्था को को बढ़ाव मिला।

हम भारत की आर्थिक विकास को सिंधु घाटी सभ्यता से आरंभ मानते हैं l जहां की अर्थव्यवस्था का मुख्य केंद्र व्यापार था l इस काल में सिक्कों को ढ़ालना और यातायात व्यवस्था में सुधार किया गया l इसमें विश्व की कुल सम्पति का एक तिहाई भाग मराठा साम्राज्य के पास था, जिसमें बाद में तेजी से गिरावट आयी।

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