Hindi, asked by Icarus, 1 year ago

3000 words hindi sa on " Man ek bartan nahi jise bhara jana hai balki ek jwala hai jise prajwalit kiya jana hai"


amans3295: "मन" क्या है?

Answers

Answered by Qba
7
Hey!

Since you couldn't get a separate answer, you can take a look this one. It's the same essay and it had been written by our Brainly Guru Expert :) 

http://brainly.in/question/163061

Cheers! 
Admin

Answered by BrainlyArnab
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मन एक खाली बर्तन नहीं जिसे भरा जाना है, बल्कि एक ज्वाला है जिसे प्रज्वलित किया जाना है। इस कथन से यह अभिप्राय है कि मनुष्य का मन खाली बर्तन के समान शक्तिहीन ,असक्षम और शून्य नहीं है बल्कि मन तो अग्नि के जैसा उर्जावान ,महाशक्तिशाली ,सक्षम, गतिशील और सक्रिय होता है।मन ऊर्जा और शक्ति का असीमित भण्डार है। इसकी अथाह शक्ति ब्रह्माण्ड कही और नहीं है।मन विचारो का अद्भुत जनक होता है । बड़े से बड़ा और छोटे से छोटा कार्य एक अच्छे विचार से ही आरम्भ होता है।प्रेरणादायक ,आशावादी ,सुविचारों से मनुष्य कठिन से कठिन लक्ष्यों को भी हासिल कर सकता है।निराश होकर , प्रारब्ध को दोष देकर, प्रयत्न न करने से, कभी सफलता पाई नही जा सकती। सफलता प्राप्त करने के लिए मन की ज्वाला को प्रज्वलित करना होता है। मन में ऊर्जा आवेग और स्फूर्ति भर कर ही जीवन में ऊंचाइयों को छुआ जा सकता है। अंदर के डर को निकालकर मन में आत्मविश्वास और दृण संकल्प जगाना होगा तभी समाज और देशक्ष सुमार्ग पर चलकर बिकास की मंजिल पायेगा । मन से बुरी भावनाओ और बुरे विचारों को त्याग कर और सदाचार व् नैतिकता अपना कर ही सामाजिक कुरीतियों को दूर किया जा सकता है। अहंकार और स्वार्थ की भावना से ऊपर उठकर ,परोपकार को महत्त्व देना ही ,सभ्य बनना है। अपने शिक्षक ,गुरुजन ,माता पिता, बड़ों आदि से ज्ञान प्राप्त कर मन की ज्वाला प्रज्वलित की जा सकती है।मन में आदर्श और नेक विचारो की ज्वाला पैदा कर ,दुनिया को उसके प्रकाश से रोशन करना ही सच्चा मानवीय धर्म है। इसलिए ऐसा कहा जाता है कि मन एक खाली बर्तन नहीं जिसे भरा जाना है, बल्कि एक जवाला है जिसे प्रज्वलित किया जाना है।मन की शक्ति और विश्वास से ही गौतम बुद्ध ने ज्ञान की प्राप्ति की। मन की शक्ति से ही आज मानव मंगल गृह तक पहुँच पाया।मन में बहुत शक्ति होती है इस का उपयोग देश और समाज की तरक्की के लिए होना चाहिए। मन की शक्ति से समाज कल्याण के लिए कार्य करे। इंसान का बड़ा और छोटा होना ,मन के अंदर की ज्वाला पर निर्भर करता है। मन को अगर बर्तन के समान निराशा और आलस्य से भरोगे तो सफलता अनिश्चित है वहीं दूसरी ओर मन को जोश और लगन रूपी ज्वाला से प्रज्जवलित करोगे तो सफल होनाआप जो बनना चाहते है वैसे ही विचार मन में लाने चाहिये।मन का पवित्र होना भी आवश्यक है तभी देश में नैतिकता बढ़ेगी।मन की महिमा अपरम्पार है । इस लिए कहा गया है कि मन चंगा तो कठौती में गंगा। अर्थात मन पवित्र हो तो कुछ भी कठिन नहीं होता।

मन में गजब की ताकत होती है एक बार अगर कुछ ठान लिया मतलब मन पक्का कर लिया तो समझो बड़ा से बड़ा लक्ष्य संभव है। मन चंचल भी होता है मतलब की उसे किस दिशा में जाना है यह हमें ही तय करना होता है। नीरसता के साथ जिए या भी सक्रियता के साथ ये हम पर ही निर्भर करता है। मन में जोश भर कर समाज और अपने जीवन क्रांति लाई जा सकती है।ज्ञान की एक चिंगारी से ही इस ज्वाला को प्रज्वलित किया जा सकता है।के साथ जिए या भी सक्रियता के साथ ये हम पर ही निर्भर करता है। मन में जोश भर कर समाज और अपने जीवन क्रांति लाई जा सकती है।ज्ञान की एक चिंगारी से ही इस ज्वाला को प्रज्वलित किया जा सकता है।

के साथ जिए या भी सक्रियता के साथ ये हम पर ही निर्भर करता है। मन में जोश भर कर समाज और अपने जीवन क्रांति लाई जा सकती है।ज्ञान की एक चिंगारी से ही इस ज्वाला को प्रज्वलित किया जा सकता है।अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए परिश्रम और दृण संकल्प से इस ज्वाला को प्रज्वलित करना ही होगा। आलस्य को त्याग कर , कठिन परिश्रम और लगातार प्रयत्न के साथ एक लक्ष्य निश्चित करो और मन की ज्वाला को प्रज्वलित ,अपनी आंतरिक शक्ति को जगाकर लक्ष्य को हासिल करो। जीवन में अगर कुछ करना है तो मन की ज्वाला को प्रज्वलित करो। ग्रीक दार्शनिक प्लूटार्क का यह कथन कि मन एक बर्तन नहीं अपितु एक ज्वाला है जिसे प्रज्वलित करना है , आज के आधुनिक युग में भी प्रेरणादायक है।

आशा है कि इससे सहायता मिलेगी।

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