31. श्वासोच्छवास का नियंत्रण कहाँ से होता है?
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1. नासाद्वार
नासाद्वारों के बीच का स्थान नासा वेश्म होता है. इसके पृष्ठभाग में घ्राण उपकला होती है. तथा शेष भाग में रोमाभि उपकला होती है. जिसे श्वसन कला कहते हैं इसमें अनेक चषक कोशिकाएं होती है..
2.ग्रसनी
यह मुखगुहा का पिछला भाग है. जो घाटि या ग्लटिस द्वारा लैरिक्स में खुलता है. ग्लटिस के ऊपर एपिग्लाटिस लगा होता है. जो भोजन निगलते समय श्वास नली का छिद्र बंद कर देता है..
3.श्वसनाल
श्वसननाल ग्रासननली के उधर तल से चिपकी रहती है. इसके मिट्टी में हाईलाइट उपास्थि के बने C के आकार के छल्ले बने होते हैं.
4.श्वसनी
श्वासनी वक्षगुहा में जा कर दो ब्रोकाई में विभक्त हो जाती है. इनकी भित्ति में उपास्थि होते हैं
5.श्वसनिका
खरगोश में दाहिने श्वसनी 4 तथा मनुष्य में 3 श्वसनिकाओं में विभक्त हो जाती है. श्वसनिकाएं कुपिका वाहिनियों में विभक्त हो जाती है. प्रत्येक कुपिकाए वाहिनी अपने छोर पर वायु कोष्ठकों के एक गोल से समूह में घुस जाती है. इस समूह में कई छोटे-छोटे वायुकोष होते हैं प्रत्येक वायु कोष में दो या तीन छोटे-छोटे थैलीनुमा वायुकोष्ठक खुलते हैं.
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༲࿆༫࿆࿂࿆༗
Pཞɛɛɬı
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