History, asked by vinni9582, 9 months ago

324-12
1. महाभारत काल के दौरान वर्ण व्यवस्था का पालन करवाने के लिए ब्राह्मणों द्वारा अपनाई
गयी किन्हीं तीन रणनीतियों की व्याख्या कीजिये?​

Answers

Answered by artiakshat8887
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Explanation:

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महाभारत काल: तब कितना अलग था समाज

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कृष्ण के जीवन की या कहें महाभारत काल की घटनाओं को ठीक से समझने के लिए जरुरी है कि उस समय की सामाजिक व्यवस्था को भी जानें। इसी सिलसिले में लीला के इस अंश में जानते हैं कैसा था उन दिनों का समाज ?

कृष्ण अपने वक्त के सबसे चमकते सितारे थे, लेकिन उनकी चमक का महत्व आप तभी समझ सकते हैं, जब आप उस माहौल और परिवेश को समझ लें, जिसमें वो घटनाएं घटीं। महाभारत ऐसी ही एक लंबी कहानी है जिसके भीतर और न जाने कितने किस्से कहानियां हैं। अगर उन सभी कहानियों का वर्णन करने लगें तो इस काम में बरसों लग जाएंगे। इसलिए मैं उन कुछेक खास पहलुओं के बारे में ही बताऊंगा जिनकी वजह से कृष्ण की महिमा इतना ज्यादा बढ़ी और वे अपने समय के कुशल राजनीतिज्ञ तथा राजाओं के राजा बनकर उभरे।

Answered by Anonymous
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वैदिक काल में वर्ण व्यवस्था शुरू हुई। ऋग्वेद और मनुस्मृति में इसका उल्लेख मिलता है। यह मूल रूप से उनके व्यवसाय या स्थिति के आधार पर लोगों का वर्गीकरण है जो वे समाज में रखते हैं जिसके अनुसार समाज को चार वर्गों में बांटा गया है। , ब्रह्मण (पुजारी या उच्च पद वाले विद्वान), क्षत्रिय (योद्धा या शूरवीर), वैश्य (व्यापारी), शूद्र अकुशल श्रमिक या मजदूर)। ऋग्वेद में वर्मा का अर्थ है रंग, रंग या बाहरी अनुभव। वर्ण व्यवस्था ने लोगों को उच्च और निम्न या श्रेष्ठ या हीन नहीं ठहराया, यह सिर्फ लोगों के कौशल के आधार पर समाज के क्रम में वर्गीकरण था। भगवद गीता में प्राचीन पाठ के अनुसार वर्ण व्यवस्था वंशानुगत नहीं है बल्कि कर्म (कर्म) पर आधारित है इसलिए चार आदेशों की संरचना लोगों की गुणवत्ता और कौशल पर आधारित है न कि जन्म से।

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