34. कवि किस अमृत से सीचने की बात कर रहा
है
धरोहर से
जीवन
नव जीवन
इनमें से कोई नहीं
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पुष्प-पुष्प से तंद्रालस लालसा खींच लूँगा मैं। अपने नव जीवन का अमृत सहर्ष सींच दूंगा मैं। वसंत ऋतु हर फूल से नींद की आलस को खींचने की कोशिश करता और हर किसी में नये जीवन का अमृत भर देता है।
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