Chemistry, asked by anshulrairadhe, 11 months ago

35°C ताप तथा 1.2 bar दाव पर 120 मिली. पारितावाले पारसकी निशित मात्रा भरी है यदि 35°C पर गैस को 180 मिली.धारिता वाले फ्लारक स्थानांतरित किया जाता है तो गैस का दाब क्या होगा?​

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Answered by vc6070180
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(molar specific heat in hindi) मोलर विशिष्ट ऊष्मा , गैस की मोलर विशिष्ट ऊष्मा क्या है : किसी पदार्थ के एक ग्राम मोल का तापमान एक डिग्री सेल्सियस बढाने के लिए जितनी ऊष्मा की की मात्रा की आवश्यकता होती है उसे ही उस पदार्थ की मोलर विशिष्ट ऊष्मा कहते है।

या

पदार्थ के एक मोल का ताप एक केल्विन बढाने के लिए आवश्यक ऊष्मा को ही उस पदार्थ की मोलर विशिष्ट ऊष्मा कहते है। इसकी इकाई J/mole K होती है। इसे अंग्रेजी वर्णमाला के बड़े अक्षर C द्वारा व्यक्त किया जाता है।

गैसों में दो प्रकार की मोलर विशिष्ट ऊष्मा पायी जाती है और इसका कारण यह होता है कि यह निर्भर करता है गैस पर कि ऊष्मा मिलने पर यह खुद के आयतन में परिवर्तन करने देती है या नहीं।

जब किसी गैस के आयतन को नियत रखकर उसे ऊष्मा दी जाती है तो इसे नियत आयतन पर मोलर विशिष्ट ऊष्मा कहते है।

जब किसी गैस के दाब को नियत रखकर उसे ऊष्मा दी जाती है तो इसे नियत दाब पर मोलर विशिष्ट ऊष्मा कहते है।

इसे निम्न सूत्र द्वारा लिखा जाता है तथा ज्ञात किया जा सकता है –

मोलर विशिष्ट ऊष्मा (C) = M.c

यहाँ C = मोलर विशिष्ट ऊष्मा , M = पदार्थ का आण्विक द्रव्यमान का मान , तथा c = उस पदार्थ की ग्राम विशिष्ट ऊष्मा का मान

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