3e और Mg व उनके योगिक बुनसेन ज्वाला को अभिलक्षिणीक
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हीं करते कारणसमझाइए?
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बुन्सेन ज्वालक या बुन्सेन बर्नर (Bunsen Burner) एक विशेष प्रकार का गैस ज्वालक है। गैस को जलाने से पूर्व इसमें हवा की एक निश्चित मात्रा मिलाने की युक्ति होती है। ऐसा करने के लिए इसमें एक नली रहती हैं, जिसके आधार के पास पार्श्व में हवा आने के लिए छिद्र होते हैं। गैस नीचे की ओर से आती है। यदि गैस और हवा का ठीक अनुपात में मिश्रण हो, तो यह मिश्रण जलने पर तप्त, किंतु ज्योतिहीन तथा निर्धूम ज्वाला देता है। बुंसेन ज्वाला प्राप्त करने के लिए गैस और हवा का, आयतन के अनुसार, लगभग 3 : 1 का अनुपात होना चाहिए। इस प्रकार की ज्वाला के भीतरी निचले क्षेत्र में जलवाष्प, कार्बन मॉनोक्साइड, नाइट्रोजन, कार्बन डाइऑक्साइड तथा हाइड्रोजन का मिश्रण रहता है। ज्वाला के वाह्य दहन क्षेत्र में गैस और नाइट्रोजन पहुँचती है। गैस हवा की अधिक मात्रा के आने पर जल उठती है। ज्वाला और धौंकनी की सहायता से संगलन, अवकरण और ऑक्सीकरण की क्रियाएँ संभव हैं। कुछ धात्विक लवण इस रंगहीन ज्वाला को विशिष्ट रंग देते हैं।