( ( 4 ) 2 ) निम्नलिखित गद्यांश घड़कर ऐसे चार प्रश्न तैयार कीजिए , जिनके उल्लर गयोश में एक - एक वाक्य में हो स्वाधीन भारत में अभी तक अजी हवाओं में कुछ लोग यह कहत मिलगे - जब तक विज्ञान और तकनीकी ग्रंथ हिंदी में न हो तब तक के हिंदी में शिक्षा दी जाए । जब कि स्वामी दयानंद स्वाधीनता से भी चालीस साल पहले गुरुकुल कांगड़ी में हिंदी के माध्यम से विज्ञान जैसे गहन विषयों को शिक्षा दे रहे थे ग्रंथ भी हिंदी में थे और पढ़ाने वाले भी हिंदी के थे । जहाँ चाह होती है वहीं राह निकलती है । एक लबे अरसे तक अंग्रेज गुरुकुल कांगड़ी को भी राष्ट्रीय आंदोलन का अभिन्न अंग मानते रहे । इसमें कोई संदेह भी नहीं कि गुरुकुल स्मातकों में स्वाधीनता की अजीब तड़प धी । स्वामी ब्रह्मानंद जैसा राष्ट्रीय नेला जिस गुरुकुल्ल का संस्थापक हो और हिंदी शिक्षा का माध्यम हो ; वहीं राष्ट्रीयता नहीं पनपेगी तो कहाँ पनपेगी । स्वामी जी में मिलने देश के प्रमुख राष्ट्रीय नेता भी गुरुकुल आते रहते थे
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1. स्वाधीन भारत में आज भी कुछ लोग क्या कहते है ?
2.स्वामी दयानंद का क्या कहना था?
3. राष्ट्रीयता कहा पनपती है?
4.स्वामी जी से मिलने कौन और कहा आते है?
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