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प्रश्न- निम्नलिखितविषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए
ख-परिवार के प्रति हमारे कर्तव्य
Answers
Answer:
asi ghardea di seva kryai a ohna nu Mara na boli a respect kryai a
Answer:
परिवार हृदय का देश है। प्रत्येक परिवार में देवदूत होता है जो अपनी कृपा से, अपनी मिठास से, अपने प्रेम से परिवार के प्रति कर्तव्य को निभाने में थकावट को नहीं आने देता तथा दुखों को बाँटने में सहायक होता है। बिना किसी उदासी के यदि शुद्ध प्रसन्नता का अनुभव होता है तो वह इस देवदूत की ही देन है। जिन व्यä किे दुर्भाग्य से परिवार का सुख देखने को नहीं मिल पाया, उस के हृदय में एक अनजानी उदासी बनी रहती है। उस के हृदय में ऐसी शून्यता भरी रहती है जिसे भरा नहीं जा सकता। जिन के पास यह सुख है, उन्हें इस के महत्व का अहसास नहीं होता तथा वह अनेक छोटी छोटी बातों में अधिक सुख मानते हैं। परिवार में एक सिथरता रहती है जो कहीं अन्य नहीं पार्इ जाती। हम उन के प्रति जागरूक नहीं होते क्योंकि वह हमारा ही भाग हैं तथा अपने आप को जानना कठिन है। पर जब इस का साथ छूट जाता है तो ही इस के महत्व का पता चलता है। क्षणिक सुख तो मिल जाते हैं किन्तु स्थार्इ सुख नहीं मिल पाता। परिवार की शाँति उसी प्रकार की है जैसे झील पर की हलकी लहर, विश्वास भरी नींद की मीठा अनुभव, वैसा ही जैसा बच्चे को अपनी माँ की छाती से लग कर मिलता है।
यह देवदूत स्त्री है। माँ के रूप में, पतिन के रूप में या बहन के रूप में। स्त्री ही वह शä हिै जो जीवन प्रदायिनी है, वह ही उस परम पिता की संदेशवाहिनी है जो सारी सृषिट को देखता है। उस में किसी भी दुख को दूर करने का शä हिै। वह ही भविष्य निर्माता है। माँ का प्रथम चुम्बन बच्चे को प्रेम की शिक्षा देता है। जवानी में उस का चुम्बन ही पुरुष को जीवन में विश्वास जगाने में सहायक होता है। इस विश्वास में ही जीवन को सम्पूर्ण बनाने की शä छिुपी हुर्इ है। भविष्य को उज्जवल बनाने की कला है। वह ही हमारे तथा हमारी अगली पीढि़यों के बीच की कड़ी है। इस कारण ही हमारे पूर्वजों ने स्त्री को पूज्य माना है।