4. "अँखियाँ हरि दरसन की भूखी। कैसे रहें रूप रस राँची ए बतियाँ सुनि रूखी।। अवधि गनत इकतात मग जोबत तब अति नही झुकी अनिल जोग संदेश सन उन होती गुलामी दुखी का संदर्भ व्याख्या
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ye gandi ji ne kha ek hat lo dusra hat do
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