4 * আই টুকুই তু, 'ত»ণ " হবু কী ধরতে চেপে?A2 कोई जासूस तो खून लगता कि वह जाता है जयचंद
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विद्यापति के पुरुष-परिक्षा और पृथ्वीराज रासो जैसे हिन्दू स्रोतों के अनुसार ,जयचंद्र ने घुरिडों को कई बार हराया। जयचंद्र कोई गद्दार नहीं थे, वह अपनी अंतिम सांस तक मोहम्मद गौरी के कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा नेतृत्व सेना के खिलाफ लड़ते रहे लेकिन आखिरकार वह 1194ce मे चंदावर की लड़ाई मे हारे गए, लेकिन उनके हार के बाद भी उनके बेटे हरिश्चंद्र ने मोहम्मद गौरी को हराया और वाराणसी में मुसलमानों ने जितने भी घाट और मंदिर तोड़े थे वह सब वापस बनाएं।
ऐसे कोई प्रमाण नहीं हैं जिससे पता लगे कि जयचन्द ने गौरी की सहायता की थी। गौरी को बुलाने वाले देश द्रोही तो दूसरे ही थे, जिनके नाम पृथ्वीराज रासो में अंकित हैं। इसी प्रकार समकालीन फारसी ग्रन्थों में भी इस बात का संकेत तक नहीं है कि जयचन्द ने गौरी को आमन्त्रित किया था। यह एक सुनी-सुनाई बात है जो एक रूढी बन गई है। पृथ्वीराज तथा संयोगिता विवाह को इतिहासकार सत्य नही मानते।