4. अपने क्षेत्र के बुजुर्गों, ग्राम सेवको, पशु चिकित्सकों से मिलकर पशुओं के स्वभाव के बारे में
लिखिए।
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ग्रामीण क्षेत्रों के रहन – सहन में पशुओं में दुर्घटनाएं होना एक स्वाभाविक एवं आम बात है। इन दुर्घटनाओं का यदि समय से प्राथमिक उपचार किसी अनुभवी एवं प्रशिक्षित व्यक्ति या पशु चिकित्सक द्वारा कराया जाता है तो इन छोटी मोटी बीमारियों की रोकथाम व उपचार आसानी से सुनिश्चित हो सकता है। समय से उपचार न मिलने पर छोटी – मोटी बीमारियाँ या दुर्घटनाएं भयानक रूप धारण कर लेती है और उनसे पशु की मृत्यु भी हो सकती है। अत: प्राथमिक उपचार की जानकारी पशुपालकों को अवश्य होनी चाहिए। यदि सचिव प्रशिक्षण के माध्यम से यदि पशुओं का प्राथमिक उपचार सीख लेता है तो प्राथमिक पशु चिकित्सा की दवाईयां दुग्ध संघ से प्राप्त कर इस महत्वपूर्ण कार्य में अपना सहयोग प्रदान कर सकता है और इस अतिरिक्त कार्य के लिए उसको समिति गाँव से अतिरिक्त आमदनी भी हो सकती है।
नोट: उपरोक्त प्राथमिक उपचार किसी अनुभवी एवं प्रशिक्षित व्यक्ति या पशु चिकित्सक द्वारा ही कराएं।
स्त्रोत: कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार