(4) "अपना मालवा खाऊ उजाडू सभ्यता पाठ के आधार पर औद्योगिकरण के विकास के कारण
(i) नदियां प्रदूषित हो रही है
(ii) ग्लोबल वार्मिंग हो रही है
(iii) ऋतु चक्र परिवर्तित हो रहे हैं
(iv) उपरोक्त सभी
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Answer:
उपरोक्त सभी
Explanation:
लेखक ने इस पाठ में मालवा प्रदेश को मौसम, ऋतु, नदियां वहां का जनजीवन तथा संस्कृति का अत्यंत सजीव वर्णन किया है। पूर्व समय में मालवा कितना खुशहाल था जहां पग पग पर पानी की उपलब्धता थी। आज उस मालवा प्रदेश में पानी विलुप्त होने की कगार पर है, जिससे लेखक के मन में पुरानी संस्कृति तथा नवीन खाऊ-उजाड़ू संस्कृति के का विपरीत प्रभाव पड़ा है, उसकी जिजीविषा को प्रकट करने का प्रयत्न किया है।
मालवा में जब अत्यधिक बारिश होती है तो जनजीवन पर इसका प्रभाव पड़ता है। ग्रामीण क्षेत्र में आज भी बरसात ग्रामीणों के लिए मुसीबत ही पैदा करती है उनके यातायात के साधन ठप हो जाते हैं तथा लोगों को आने-जाने में कठिनाइयां होती है।
बारिश होने के कारण गेहूं और चने की फसल अच्छी होती है, किंतु सोयाबीन की फसल गल जाती है। अतिवृष्टि से नदियों में बाढ़ आ जाती है और पानी लोगों के घरों, दुकानों आदि में घुस जाता है। लेखक के अनुसार मालवा में पहले जैसा पानी अब नहीं गिरता क्योंकि उद्योग धंधों से निकलने वाली गैसों से पर्यावरण गर्म हो रहा है। मालवा में आधुनिक प्रगति की आड़ में निरंतर पर्यावरण का दोहन किया जा रहा है, जिससे वहां का प्राकृतिक संतुलन निरंतर बिगड़ता जा रहा है। वायु प्रदूषण फैल रहा है।
पर्यावरण असंतुलित हो गया है। वर्षा ऋतु पर भी इसका प्रभाव पड़ा और मालवा में औसतन वर्षा कम हो गई।
"अपना मालवा खाऊ उजाडू सभ्यता पाठ के आधार पर औद्योगिकरण के विकास के कारण
(i) नदियां प्रदूषित हो रही है
(ii) ग्लोबल वार्मिंग हो रही है
(iii) ऋतु चक्र परिवर्तित हो रहे हैं
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