Physics, asked by vishalanjukhalkho, 2 months ago

4.
अपवर्ती खगोलीय दूरदर्शी का नामांकित किरण आरेख खींचिए तथा आवर्धन क्षमता के
लिए व्यंजक व्युत्पन्न कीजिए जब अंतिम प्रतिबिम्ब स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी पर बने। [2+
Draw the nominated ray diagram of the refracting astronomical
telescope and derive expressions of magnifying power when the final
image is at a minimum distance of clear vision.​

Answers

Answered by namratakashyap615
13

Answer:

खगोलीय दूरदर्शी (Astronomical Telescope)- खगोलीय दूरदर्शी एक ऐसा प्रकाशिक यन्त्र है जिसके द्वारा उना दूर स्थित वस्तु का प्रतिबिम्ब का आँख पर बड़ा दर्शन कोण बनाता है जिससे कि वह वस्तु आँख को बड़ी दिखायी पड़ती है। रचना- इसमें धातु की एक लम्बी बेलनाकार नली होती है जिसके एक सिरे पर बड़ी फोकस-दूरी तथा बड़े द्वारक का अवर्णक उत्तल लेन्स लगा होता है, जिसे ‘अभिदृश्यक लेन्स’ कहते हैं। नली के दूसरे सिरे पर एक अन्य छोटी नली फिट होती है जो दन्तुर दण्ड-चक्र (रैक-पिनयन) व्यवस्था द्वारा बड़ी नली में आगे-पीछे खिसकाई जा सकती है। छोटी नली के बाहरी सिरे पर एक छोटी फोकस-दूरी तथा छोटे द्वारकं को अवर्णक उत्तल लेन्स लगा रहता है जिसे अभिनेत्र लेन्स अथवा नेत्रिका कहते हैं। नेत्रिका के फोकस पर क्रॉस-तार लगे रहते हैं। समायोजन- सबसे पहले नेत्रिको को छोटी नली में आगे-पीछे खिसकाकर क्रॉस-तार पर फोकस करे लेते हैं। फिर जिस वस्तु को देखना हो उसकी ओर अभिदृश्यक लेन्स को दिष्ट कर देते हैं। दन्तुर-दण्ड-चक्र व्यवस्था द्वारा छोटी नली को लम्बी नली में आगे-पीछे खिसकाकर अभिदृश्यक लेन्स की क्रॉस-तार से दूरी इस प्रकार समायोजित करते हैं कि वस्तु के प्रतिबिम्ब और क्रॉस-तार में लम्बन न रहे। इस स्थिति में वस्तु का स्पष्ट प्रतिबिम्ब दिखाई देगा। यह प्रतिबिम्ब लेन्सों द्वारा प्रकाश के अपवर्तन से बनता है। अतः यह दूरदर्शी अपवर्तक’ दूरदर्शी है। प्रतिबिम्ब का बनना- चित्र 9.34 में दूरदर्शी का अभिदृश्यक लेन्स O तथा नेत्रिका E। दिखाये गये हैं। AB एक दूर-स्थित वस्तु है। जिसका A सिरा दूरदर्शी की अक्ष पर है। लेन्स -14 0 के द्वारा AB का वास्तविक, उल्टा व छोटा प्रतिबिम्ब A’B’, लेन्स के द्वितीय फोकस F0 पर बनता है। यह प्रतिबिम्ब नेत्रिका E के प्रथम फोकस Fe के भीतर है तथा नेत्रिका के लिए वस्तु का कार्य करता है। अतः नेत्रिका, A’B’ का आभासी, सीधा तथा बड़ा प्रतिबिम्ब A”B” बनाती है। B” की स्थिति ज्ञात करने के लिए, B’ से दो विछिन्न किरणें (………) ली गई हैं। एक किरण जो E के प्रकाशिक-केन्द्र में से जाती है, सीधी चली जाती है तथा दूसरी किरण जो मुख्य अक्ष से समान्तर ली गई है, E के दूसरे फोकस F, से होकर जाती है। ये किरणें पीछे बढ़ाने पर बिन्दु B” पर मिलती हैं। आवर्धन-क्षमता- दूरदर्शी की आवर्धन-क्षमता (कोणीय आवर्धन)

Answered by mad210215
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अपवर्तक खगोलीय दूरबीन का किरण आरेख:

विवरण:

  • टेलीस्कोप एक ऑप्टिकल उपकरण है जिसे दूर की वस्तुओं को देखने के लिए डिज़ाइन किया गया है, क्योंकि यह उन्हें निकट दिखाई देता है।
  • इसका निर्माण लेंस, या घुमावदार दर्पण और लेंस की व्यवस्था का उपयोग करके किया जाता है, इनके उपयोग से प्रकाश की किरणें एकत्रित और केंद्रित होती हैं और परिणामी छवि प्रकृति में बढ़ जाती है।
  • 1668 में, न्यूटन द्वारा पहली परावर्तक दूरबीन का निर्माण किया गया था।
  • इसके केंद्र में एक छेद के साथ एक बड़ी फोकल लंबाई का एक बड़ा परवलयिक (प्राथमिक) अवतल दर्पण होता है।
  • प्राथमिक दर्पण के फोकस के पास एक छोटा उत्तल (द्वितीयक दर्पण) होता है।
  • नेत्रिका को प्राथमिक दर्पण के छेद के पास दूरबीन की धुरी पर रखा जाता है।

आवर्धन शक्ति की अभिव्यक्तियाँ:

  • अपवर्तक दूरदर्शी द्वारा अनंत पर बने प्रतिबिम्ब का किरण आरेख यहाँ दिखाया गया है जो दर्शाता है कि अभिदृश्यक लेंस और नेत्रिका की फोकस दूरी क्रमशः फ़ो और फ़े है।
  • दूरबीन की आवर्धन शक्ति को आंख पर छवि द्वारा अंतरित कोण के अनुपात के रूप में परिभाषित किया जाता है (β) और आंख पर किसी वस्तु द्वारा अंतरित कोण (α) |
  • दूरबीन की आवर्धन शक्ति: \displaystyle m = \frac{\beta}{\alpha}
  • चित्र से:

         \displaystyle \beta = tan \bata = \frac{A'B'}{f_e}

        \displaystyle \alpha = tan \alpha = \frac{A'B'}{f_o}

        \displaystyle \frac{\beta }{\alpha } = \frac{f_o}{f_e}

       \mathbf{ \displaystyle m =\mathbf { \frac{\beta}{\alpha}}}

निम्नलिखित अनुलग्नक का संदर्भ लें:

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