4. अधिकरणकारक व संबंधकारक में क्या अंतर है? उदाहरण दीजिए।
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- अधिकरण कारक की परिभाषा :
अधिकरण का अर्थ होता है – आश्रय। संज्ञा का वह रूप जिससे क्रिया के आधार का बोध हो उसे अधिकरण कारक कहते हैं।
- अधिकरण कारक के विभक्ति चिन्ह :
इसकी विभक्ति में और पर होती है। भीतर, अंदर, ऊपर, बीच आदि शब्दों का प्रयोग इस कारक में किया जाता है।
- अधिकरण कारक के उदहारण :
जब मैं घर में गया तो कोई भी नहीं था।
- संबंध कारक की परिभाषा :
संज्ञा या सर्वनाम का वह रूप जो हमें किन्हीं दो वस्तुओं के बीच संबंध का बोध कराता है, वह संबंध कारक कहलाता है।
- सम्बन्ध कारक के विभक्ति चिन्ह :
का, के, की, ना, ने, नो, रा, रे, री आदि हैं।
- संबंध कारक के कुछ उदाहरण :
यह साहिल का स्कूटर है।
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