4. बुन्देली भाषा के विकास क्रम पर प्रकाश डालिए।
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बुंदेली भारत के एक विशेष क्षेत्र बुन्देलखण्ड में बोली जाती है। यह कहना बहुत कठिन है कि बुंदेली कितनी पुरानी बोली हैं लेकिन ठेठ बुंदेली के शब्द अनूठे हैं जो सादियों से आज तक प्रयोग में आ रहे हैं। बुंदेलखंडी के ढेरों शब्दों के अर्थ बंग्ला तथा मैथिली बोलने वाले आसानी से बता सकते हैं।
बुंदेली भारत के एक विशेष क्षेत्र बुन्देलखण्ड में बोली जाती है। यह कहना बहुत कठिन है कि बुंदेली कितनी पुरानी बोली हैं लेकिन ठेठ बुंदेली के शब्द अनूठे हैं जो सादियों से आज तक प्रयोग में आ रहे हैं। बुंदेलखंडी के ढेरों शब्दों के अर्थ बंग्ला तथा मैथिली बोलने वाले आसानी से बता सकते हैं।प्राचीन काल में बुंदेली में शासकीय पत्र व्यवहार, संदेश, बीजक, राजपत्र, मैत्री संधियों के अभिलेख प्रचुर मात्रा में मिलते है। कहा तो यह भी जाता है कि औरंगजेब और शिवाजी भी क्षेत्र के हिंदू राजाओं से बुंदेली में ही पत्र व्यवहार करते थे। एक-एक क्षण के लिए अलग-अलग शब्द हैं। गीतो में प्रकृति के वर्णन के लिए, अकेली संध्या के लिए बुंदेली में इक्कीस शब्द हैं। बुंदेली में वैविध्य है, इसमें बांदा का अक्खड़पन है और नरसिंहपुर की मधुरता भी है।
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बुन्देली भाषा के विकास क्रम पर प्रकाश
बुन्देली भाषा: बुन्देली भाषा बुन्देलखण्ड में बोली जाने वाली भाषा है| बुन्देली मध्य प्रदेश की जन भाषा है।
बुन्देली भाषा का व्याकरण जन समाज की भाषा संबंधी हर आवश्यकता पूरी करने योग्य है। बुन्देली भाषा बोलने योग्य और लिखने योग्य और समझने योग्य है| यह भाषा समाज के हर प्रकार के विकास के लिए महान अस्त्र है और उसक ऐतिहासिक विकास की महान सफलता भी है।
बुन्देली भाषा में ध्वनि में 10 स्वर 27 व्यंजन होते हैं। बुन्देली भाषा में ध्वनि में 10 स्वर हिन्दी साहित्य से अलग है| बुन्देली भाषा झांसी, जालौन, हमीरपुर, ग्वालियर, ओरछा, सागर, नरसिंहपुर, सिवनी तथा होशंगाबाद में बोली जाती है।