Hindi, asked by jatinsona, 8 hours ago

4-बिरजू की परेशानी का क्या कारण था?

Answers

Answered by vikashpatnaik2009
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उत्तर :- प्रस्तुत पंक्ति हिन्दी साहित्य पाठ्यपुस्तक के ‘जित-जित मैं निरखत हूँ’ से ली गई है। यह शीर्षक हिन्दी साहित्य की साक्षात्कार विधा है। यहाँ स्वयं साक्षात्कार के दरम्यान अपने शिष्य के प्रति निष्ठा, वात्सल्यता एवं निश्छलता की अंतरंग भावना का प्रमाणिकता के आधार पर वर्णन किये हैं।  

इस व्याख्यांश में बिरजू महाराज अपने गुरु के रूप में पिता की शिष्य के प्रति निश्छलता और वात्सल्यता की भावना का वर्णन करते हुए कहते हैं कि मेरे गुरु में किसी प्रकार की स्वार्थपरता एवं व्यावसायिकता नहीं थी। उनकी भावना शिष्य के प्रति सहानुभूतिपूर्ण थी। उन्होंने बिरजू महाराज को पूर्ण समर्पित भावों से कथक की शिक्षा दी थी। उनमें इस प्रकार की भावना नहीं थी कि संपूर्ण ज्ञान में से कुछ अपने पास रखें और कुछ शिष्य को दें बल्कि उन्हें लगता था कि जो कुछ मेरे पास है वह केवल मेरे बेटे के लिए नहीं बल्कि सभी शिष्य और शिष्याओं को समान रूप से समर्पित करने के लिए है। मतभेद का लेश मात्र भी भावना उनके हृदय के किसी कोने में उपस्थित नहीं थी।

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