English, asked by AbhishekJaguri, 1 month ago

4) बेटी की क्या-क्या तमन्नाएँ हैं?
DA​

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Answered by Anonymous
5

माथे की बिंदिया को चमचमाने तो दो।

बेटियों को दुनिया में आप आने तो॥

करती हैं नाम रौशन सारे जग में,

उनकी मर्ज़ी से पढ़ने-पढ़ाने तो दो।

बेटियां तो हैं ग़ुलशन महकते ग़ुलों का,

पंख तितलियों की तरह फैलाने तो दो।

ग़र बन जाएं अहबाब मां-बाप उनके,

तो अरसा-ए-दहर में फ़तह पाने तो दो।

कब तक रहेगा ये असभ्यता का दौर,

ख़ुशनुमा ग़ज़ल उन्हे कोई गाने तो दो।

अंधेरे कमरे में जलता दिया हैं बेटियां,

आसमानी तारों की तरह जगमगाने तो दो।

है फ़न कितना इस दहर की बेटियों में,

हमनफ़स के सपने उन्हे सजाने तो दो।

करतीं हैं वो ख़ुदा से इल्तिजा इतनी,

रूठे हुए रब को उन्हे मनाने तो दो।

जबर करती है दुनिया इस्मत पे इनकी।

मनचले आवाराग़र्दों को सबक सिखाने तो दो।

छू लेंगी एक दिन ये आसमां के तारे,

कामयाबी के शिखर पर क़दम बढ़ाने तो दो॥

होती है हया इनकी आंखों में भी,

नज़रें आसमां से इन्हे मिलाने तो दो।

उठते धुएं सी होती हैं बेटियां,

ज़माने में इन्हे आतिश लगाने तो दो।

आएंगी एक दिन वो शहनाज़ बनके,

खोलके दरवाजे घर में आने तो दो।

रहती हैं अव्वल ये हर इंतिहां में,

नया इतिहास इनको बनाने तो।

दर्द देती है इनको दुनिया,

मासूम कलियों को मुस्कुराने तो दो।

दुनिया की सबसे बड़ी पूंजी हैं बेटियां,

'सर्वप्रिय' इन्हे ख़जाने तो दो॥

राजेश पाली 'सर्वप्रिय'

बसुरिया, नरसिंहपुर, म.प्र.

हमें विश्वास है कि हमारे पाठक स्वरचित रचनाएं ही इस कॉलम के तहत प्रकाशित होने के लिए भेजते हैं। हमारे इस सम्मानित पाठक का भी दावा है कि यह रचना स्वरचित है।

Answered by Anonymous
4

Answer:

if you are asking from me i want become independent first with respectful job

Explanation:

माथे की बिंदिया को चमचमाने तो दो।

बेटियों को दुनिया में आप आने तो॥

करती हैं नाम रौशन सारे जग में,

उनकी मर्ज़ी से पढ़ने-पढ़ाने तो दो।

बेटियां तो हैं ग़ुलशन महकते ग़ुलों का,

पंख तितलियों की तरह फैलाने तो दो।

ग़र बन जाएं अहबाब मां-बाप उनके,

तो अरसा-ए-दहर में फ़तह पाने तो दो।

कब तक रहेगा ये असभ्यता का दौर,

ख़ुशनुमा ग़ज़ल उन्हे कोई गाने तो दो।

अंधेरे कमरे में जलता दिया हैं बेटियां,

आसमानी तारों की तरह जगमगाने तो दो।

है फ़न कितना इस दहर की बेटियों में,

हमनफ़स के सपने उन्हे सजाने तो दो।

करतीं हैं वो ख़ुदा से इल्तिजा इतनी,

रूठे हुए रब को उन्हे मनाने तो दो।

जबर करती है दुनिया इस्मत पे इनकी।

मनचले आवाराग़र्दों को सबक सिखाने तो दो।

छू लेंगी एक दिन ये आसमां के तारे,

कामयाबी के शिखर पर क़दम बढ़ाने तो दो॥

होती है हया इनकी आंखों में भी,

नज़रें आसमां से इन्हे मिलाने तो दो।

उठते धुएं सी होती हैं बेटियां,

ज़माने में इन्हे आतिश लगाने तो दो।

आएंगी एक दिन वो शहनाज़ बनके,

खोलके दरवाजे घर में आने तो दो।

रहती हैं अव्वल ये हर इंतिहां में,

नया इतिहास इनको बनाने तो।

दर्द देती है इनको दुनिया,

मासूम कलियों को मुस्कुराने तो दो।

दुनिया की सबसे बड़ी पूंजी हैं बेटियां,

'सर्वप्रिय' इन्हे ख़जाने तो दो॥

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