4. गिल्लू की कहानी हमारे स्वभाव में जीव-जन्तु प्रेम को किस प्रकार विकसित करती है? गिल्लू कहानी
के आधार पर लिखिए।
Answers
‘गिल्लू’ कहानी ‘महादेवी वर्मा’ द्वारा लिखित एक हृदयस्पर्शी कहानी है।
ये कहानी हमारे स्वभाव में जीव-प्रेम की भावना को बड़ी से सुंदरता से दर्शाती है।
गिलहरी एक सीधा-सादा और निरीह प्राणी होता है। जब लेखिका के आंगन में गिलहरी के छोटे से बच्चे को कौओं द्वारा घायल कर दिया गया था, उस निरीह प्राणी से मरणासन्न हालत देखकर लेखिका का मन द्रवित हो उठा और वो उस गिलहरी के बच्चे को उपचार के लिये अपने घर के अंदर ले आईं। उसका उपचार किया। शीघ्र ही वो गिलहरी का बच्चा स्वस्थ हो गया। वो लेखिका के साथ घुल-मिल गया। अब वो गिलहरी का बच्चा लेखिका के परिवार का हिस्सा बन गया था। लेखिका ने अपने कमरे में ही उसके लिये एक छोटा सा पिंजरा बना दिया था और उसके खाने-पीने का पूरा ध्यान रखती थी। लेखिका ने उसे आजाद करने प्रयत्न भी किया पर वो गिलहरी का बच्चा लेखिका को छोड़कर नही गया। लेखिका ने उसे गिल्लू नाम दिया था।
ये कहानी हमें जानवरों के प्रति प्रेम की भावना अपनाने का पाठ पढ़ाती है और हमें सिखाती है कि हमारे अंदर प्राणियों के प्रति संवेदना और दया होनी चाहिये। लेखिका ने जिस प्रकार गिल्लू के प्रति संवेदना दिखाई और उसकी देखभाल की, उससे यही सिद्ध होता है कि हमारे स्वभाव में अभी भी करूणा और दया है। मानव का मूल स्वभाव करूणा, दया और ममता से भरा है। ऐसी कोई परिस्थिति आने पर मानव में सहज ही ये भाव उत्पन्न हो जाते हैं।
बेजुबान प्राणी भी प्रेम की भाषा को समझते हैं, लेखिका द्वारा अपनत्व मिलने पर गिलहरी का बच्चा भी लेखिका के प्रति अपना लगाव दिखाता है।
ऐसा ही हमारे जीवन में होता है, अगर हम जानवरों के प्रति प्रेम और संवेदना दिखाते हैं तो जानवर भी उस आत्मीयता को समझकर बदले में हमारे प्रति प्रेम और वफादारी प्रदर्शित करते हैं।