Hindi, asked by kundanrajput9545, 27 days ago


(4) गुणवान इत्यस्मिन पदे प्रत्ययः अस्ति-
(ग)शानच
(ख) क्तवतु
(घ) तत्यत्र
(क) मतुप्र

Answers

Answered by astha6696
7

Answer:

ग wala answer hai correct

Answered by sourasghotekar123
0

गुणवान इत्यस्मिन् पदे प्रत्ययः 'शानच', 'क्तवतु', 'तत्यत्र', एवं 'मतुप्र' अस्ति।

इन प्रत्ययों का उपयोग संस्कृत भाषा में शब्दों के अर्थ में बदलाव के लिए किया जाता है। 'शानच' प्रत्यय का उपयोग शब्दों में गुणों के लिए किया जाता है। 'क्तवतु' प्रत्यय का उपयोग क्रियापदों के लिए किया जाता है जब वे कर्तव्य का बोध करते हैं। 'तत्यत्र' प्रत्यय का उपयोग स्थानों और निर्देशों के लिए किया जाता है। 'मतुप्र' प्रत्यय का उपयोग पुरुषों और वस्तुओं के लिए किया जाता है।

इन प्रत्ययों का उपयोग शब्दों में बदलाव करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इससे हम संस्कृत भाषा में शब्दों के अर्थ में बदलाव कर सकते हैं और उन्हें वाक्य में सही संरचना में प्रयोग कर सकते हैं। इन प्रत्ययों का अध्ययन करना संस्कृत भाषा के अध्ययन में आवश्यक होता है।

दिए गए विकल्प संस्कृत भाषा में प्रत्यय हैं, जो एक शब्द को उसका अर्थ या व्याकरणिक कार्य बदलने के लिए जोड़े जाते हैं। सवाल में पूछा गया है कि 'गुणवान' शब्द में कौन सा प्रत्यय जोड़ा जा सकता है, जो इसका अर्थ बदल देता है।

दिए गए विकल्पों में, सही प्रत्यय

  • '(ख) क्तवतु' (ktaavatu) है, जो 'किये गए' का अर्थ होता है। 'गुणवान' में जोड़ने पर यह उसका अर्थ 'गुणवान्‍निःश्श्वस्तकर्ता' (gunavaannishshvashtakartaa) बनाता है, जो 'जिसने योग्य कर्म किए हों' का अर्थ होता है।
  • '(ग)शानच' (gshaanach) प्रत्यय कोई उपयुक्त नहीं है, जो उपकरण का बोध करता है, और '(क) मतुप्र' (matupra) माँ के संबंध में या माँ से संबंधित होने का अर्थ होता है।
  • '(घ) तत्यत्र' (ghatatatra) प्रत्यय संस्कृत भाषा में कोई वैध विकल्प नहीं है, क्योंकि इसका कोई अर्थ या उपयोग संस्कृत भाषा में नहीं होता है।

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