4. होली में हम क्या-क्या खाते हैं?
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holi me we it chicken and sweet
Answer:
होली के दिन हम दोस्तों, रिश्तेदारों या पड़ोसियों के घर जाते हैं और जमकर खाते हैं। इससे अक्सर फूड पॉइजनिंग की समस्या हो जाती है। इससे बचने के लिए इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
पेट संबंधी समस्या -
त्योहार के दिनों में मिठाइयां काफी समय पहले से ही बन जाती हैं। लंबे समय से बनी होने की वजह से इनमें सूक्ष्म बैक्टीरिया सक्रिय हो जाते हैं जो फूड पॉइजनिंग का कारण बनते हैं। कई बार लोग रंग लगे हाथों से ही पकवान खा लेते हैं जिससे रंगों का कैमिकल पेट में जाकर गड़बड़ी करता है। बाजार में बनाई जाने वाली गुंजिया और अन्य पकवानों में आमतौर पर एक ही तेल का इस्तेमाल किया जाता है। जिससे खाद्य पदार्थ में ट्रांस फैट इक्कठा होने लगता है और मोटापा बढ़ता है। त्योहार के दिन लोग एक साथ अधिक मात्रा में दूध ले लेते हैं इसलिए इन्हें आवश्यकतानुसार गर्म करते रहें। संभव हो तो घर का बना दही और पनीर इस्तेमाल करें।
चाय-कॉफी की अधिकता -
होली के दिन एक घर से दूसरे घर पहुंचते ही चाय या कॉफी का कप तैयार मिलता है, ज्यादा चाय या कॉफी पीने से एसिडिटी की समस्या होने लगती है और भूख मर जाती है। कुछ लोग इस दौरान मीठे से तो परहेज करते हैं लेकिन नमकीन ज्यादा खाते हैं जिससे कैलोरी की मात्रा व कोलेस्ट्रोल लेवल भी बढ़ जाता है। दिनभर तला-भुना खाने के बाद शाम को हल्का भोजन कर सकते हैं। गर्भवती महिलाओं, फीडिंग मदर व बुजुर्गों को तली-भुनी और मसाले वाली चीजों से परहेज करना चाहिए।
सर्विंग प्लेट-
मेहमानों और खुद की सेहत का ध्यान रखने के लिए सर्विंग प्लेट में लो कैलोरी वाली मिठाइयां जैसे रसगुल्ला, बंगाली मिठाई और घर पर बनी हुई मावे की मिठाई रख सकते हैं। कोल्ड ड्रिंक, चाय या कॉफी की जगह ठंडाई, मिल्क शेक, शर्बत या नींबू पानी का प्रयोग कर सकते हैं। नमकीन व पकौड़ी के स्थान पर इडली, खमन या ढोकला प्रयोग करें।