4.हमारे चरित्र का असली परिचायक क्या है?
ख. पोशाक
ग. कर्म
1.2 निम्रलिखित समस्त पदों का विग्रह करके समास का नाम लिखिए:
1.मनचाहा 2,महादेव 3. आजीवन
4.दानवीर 5 नीलकंठ6.हार-जीत 7.त्रिभुवन
1.3 निम्रलिखित विग्रहों के समस्त पद बनाकर समास का नाम लिविए-प्राणों के सामान प्रिय, भला
नस, आत्मा पर विश्वास, जितना उचित हो, पाठ के लिए शाला, दो पहरों का समाहार, आशा और नि
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4. हमारे चरित्र का असली परिचायक है :-
(ग) कर्म
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1.2 निम्रलिखित समस्त पदों का विग्रह करके समास का नाम लिखिए:
- मनचाहा = मन से चाहा (तत्पुरुष समास)
- महादेव = महान है देव (कर्मधारय समास)
- आजीवन = जीवन-भर (अव्ययीभाव समास)
- दानवीर = दान में वीर (तत्पुरुष समास)
- नीलकंठ = नीला है कंठ जिसका )बहुब्रीहि समास)
- हार-जीत = हार और जीत (द्वंद्व समास)
- त्रिभुवन = तीन भुवनों का समूह (द्विगु समास)
________________________________
1.3 निम्रलिखित विग्रहों के समस्त पद बनाकर समास का नाम लिखिए :-
- प्राणों के सामान प्रिय = प्राणप्रिय (तत्पुरुष समास)
- आत्मा पर विश्वास = आत्मविश्वास (तत्पुरुष समास)
- जितना उचित हो = यथोचित (अव्ययीभाव समास)
- पाठ के लिए शाला = पाठशाला (तत्पुरुष समास)
- दो पहरों का समाहार = दोपहर (द्विगु समास)
- आशा और निराशा = आशा -निराशा (द्वंद्व समास)
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