Hindi, asked by rs1671754, 4 months ago

4. हमारे तुम्हारे भी सभी काम बात ही पर निर्भर करते हैं। "बातहि हाथ पाइये बातहि हाथी-पाँव" बात ही से पराये अपने औ
अपने पराये हो जाते हैं। मक्खीचूस उदार तथा उदार स्वल्पव्ययी, कापुरुष युद्धोत्साही एवं युद्धप्रिय शान्तिशील कुमार्गों सुपथगाः
अथच सुपंथी कुराही इत्यादि बन जाते हैं।
प्रश्न-(क) उपर्युक्त गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम (संदर्भ) लिखिए।
(ख) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए।
3 वह कौन-सी चीज है जो अपनों को पराया कर देती हैं?
(घ) बात का क्या प्रभाव पड़ता है?​

Answers

Answered by Anonymous
6

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लेखक ने देखा कि ‘युग प्रवर्तक’, ‘उपन्यास सम्राट’ जैसे भारी भरकम विशेषणों से विभूषित साहित्यकार के पास फ़ोटो खिंचाने के लिए भी अच्छे जूते नहीं होने को बड़ी ‘ट्रेजडी’ कहा है। उसने महान साहित्यकार की अभावग्रस्तता के संदर्भ में ऐसा कहा है।

Answered by vermaverma3080
4

Explanation:

रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए

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