[4]
i) 'वह तोड़ती पत्थर' में कवि किसका वर्णन कर रहा है?
ii) 'कोई न छायादार पेड़' से कवि का क्या मतलब है?
iii) उस स्त्री की कार्य-शैली कैसी है?
iv) 'सामने तरु मालिका अट्टालिका प्राकार' से क्या आशय है ?
खण्ड-'ख'
Answers
Answer:
●इस कविता में कवि 'निराला' जी ने एक पत्थर तोड़ने वाली मजदूरी के माध्यम से शोषित समाज के जीवन की विषमता का वर्णन किया है।
●वह धूप में पत्थर तोड़ रही है उसके लिए किसी वृक्ष की छाया नहीं है जिसकी छाया का वह आश्रय ले सकती अर्थात उस मजदूर स्त्री इनको कोई सहारा देने वाला नहीं है।
●उसकी आँखे भावशून्य है जैसे मार खाने की पीड़ा और खा कर न रोने का निश्चय,उसकी कार्य-शैली बहुत गहरे दबा कोई आक्रोश जरूर नज़र आता है जो हथौड़े की मार में प्रकट हो रहा है।वह लगातार अपना कार्य किए जा रही है। दिन का सबसे ज्यादा कष्टमय समय है फिर भी वह अपना काम तन्मयता से कर रही है।
●सामने तरुमालिका अट्टालिका, प्राकार । इन पंक्तियों का साधारण अर्थ इस प्रकार है -- .उसके सामने ऊंची चारदीवारी से घिरी अट्टालिका है जिस पर तरु श्रेणियों की छाया है । इस पदबंध में जीवन-संग्राम का उद्घोष है और उसे जीतने का मंत्र भी ।