Hindi, asked by dk90656066, 6 months ago

4. इसी प्रकार प्रकृति और आचरण की समानता भी आवश्यक या वांछनीय नहीं है। दो भिन्न प्रकृति के मनुष्यों में बराबर
प्रीति और मित्रता रही है। राम धीर और शांत प्रकृति के थे, लक्ष्मण उग्र और उद्धत स्वभाव के थे, पर दोनों भाइयों में अत्यन्त
प्रगाढ़ स्नेह था। उदार तथा उच्चाशय कर्ण और लोभी दुर्योधन के स्वभावों में कुछ विशेष समानता न थी, पर उन दोनों की
मित्रता खूब निभी। यह कोई बात नहीं कि एक ही स्वभाव और रुचि के लोगो में ही मित्रता हो सकती है। समाज में विभिन्नता
देखकर लोग एक-दूसरे की ओर आकर्षित होते है। जो गुण हममें नहीं है, हम चाहते है कि कोई ऐसा मित्र मिले, जिसमें वे गुण
हो। चिंताशील मनुष्य प्रफुल्लित चित्त का साथ ढूँढ़ता है, निर्बल बली का, धीर उत्साही का। उच्च आकांक्षा वाला चन्द्रगुप्त
युक्ति और उपाय के लिए चाणक्य का मुँह ताकता था। नीति विशारद अकबर मन बहलाने के लिए बीरबल की ओर देखता
(
प्रश्न-(क) गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।

(ख) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।

(ग) किन-किन लोगों में भिन्न भिन्न प्रकृति के होने पर भी बराबर प्रीति और मित्रता रही?
(घ) व्यक्ति अपने से भिन्न गुणवाले व्यक्ति का साथ क्यों ढूँढता है?
था।​

Answers

Answered by raysaroj520
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Answer:

nahi pata aacha sa question bhajia

Explanation:

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