4.कोयल क्या शिक्षा देती है?
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कोयल पंक्षी जाति का अंडज प्राणी है। कूहूँ-कू, कूहूँ-कू के मधुर स्वर से मोहने वाली कोयल काले रंग की होती है। कोयल की आंखें लाल होती है। इसके दो पैर होते हैं। इसकी चोंच पतली होती है। इसकी गर्दन पर लाल रोए होते हैं।
स्वाभाव : कोयल लजाने वाली चिड़िया है। कोयल बहुत चतुर तथा धूर्त होती है। कोयला अपना अंडा कौवे के घोंसले में देती है।कौआ उसे को अपना अंडा समझ कर उसको पालती है। बड़े होने पर बच्चे उड़कर कोयल के पास चले जाते हैं। कोयल पेड़ की शाखा और पतियों की आड़ में बैठना पसंद करती है। वह प्रकृति की गोद में किलकिलाना पसंद करती है। वसंत ऋतु में भारत का कोना-कोना इस के मधुर स्वर से गूंज उठता है।
भोजन :कोयल का प्रधान भोजन फल है।
लाभ :कोयल से हमें मीठी बोली बोलने की शिक्षा मिलती है। इसकी “कूहूँ-कू” सभी के ह्रदय में आनंद की धारा बहाती है।
उपसंहार : कोयल में सुरीली तान की शक्ति असीम है। सॉप तक भी इसका वशीभूत हो जाते हैं, मनुष्य का क्या कहना आत: मनुष्य को भी आरम्भ से ही कोयल की तरह मृदुभाषी होना चाहिए।
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कोयल से हमें मीठी बोली बोलने की शिक्षा मिलती है। इसकी “कूहूँ-कू” सभी के ह्रदय में आनंद की धारा बहाती है। उपसंहार : कोयल में सुरीली तान की शक्ति असीम है। सॉप तक भी इसका वशीभूत हो जाते हैं, मनुष्य का क्या कहना आत: मनुष्य को भी आरम्भ से ही कोयल की तरह मृदुभाषी होना चाहिए।