4. कहानी के अंत में नन्ही चिड़िया का सेठ के नौकर के पंजे से भाग निकल
की बात पढ़कर तुम्हें कैसा लगा? चालीस-पचास या इससे कुछ अधिक शब्द
में अपनी प्रतिक्रिया लिखिए।
Answers
Answer:
कहानी के अंत में नन्ही चिड़िया का सेठ के नौकर के पंजे से भाग निकलना प्रसन्नता की बात है। आजादी सबको प्रिय होती है। कोई भी पराधीन रहकर खुश नहीं रह सकता। पक्षी तो खुले आसमान में विचरते अच्छे लगते हैं। सेट का लालच भी चिड़िया की आजादी को नहीं खड़ी सका था। चिड़िया को तो अपनी मां, घोसला सूरज की धूप, नदी का पानी, खुली हवा तथा फूल अच्छे लगते थे। इसलिए वह आने वाले खतरे से सावधान थी। उसकी सावधानी ही उसे स्वतंत्र रहने में सहायक हुई।
thanks mate
Answer:
कहानी के अंत में नन्ही चिडिया का सेठ के नौकर के पंजे से भाग निकलने की बात पढ़कर मुझे आपार खुशी हुई, क्योंकि माधवदास उसे अत्यधिक प्रलोभन देते हैं कि चिड़िया उसके पास रह जाए पर चिड़िया नहीं मानती। अंत में वह उसे अपने नौकर से पकड़वाना चाहता है लेकिन चिड़िया भाग निकली। यदि माधवदास चिड़िया को पकड़वाने में सफल हो जाता तो चिडिया का शेष जीवन कैदी के रूप में व्यतीत होती। उसकी आजादी समाप्त हो जाती उसका परिवार उससे बिछड़ जाता। उसकी स्वच्छंदता हँसी-खुशी समाप्त हो जाती। अत: मेरी संवेदना चिड़िया के प्रति बहुत अधिक है। चिड़िया उसे स्वार्थी माधवदास के चुंगल से बच निकलने में सफल हुई।