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करम गति टारे नाहिं टरे।
सतबादी हरिश्चन्द्र से राजा नीच घर नीर भरे।
पाँच पाण्डु अरु कुन्ती द्रोपदी, हाड़ हिमालय गरे
यज्ञ किया बलि लेन इन्द्रासन, से पाताल धरे
मीरा के प्रभु गिरिधर नागर, विष से अमृत करे।।
saransh
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