4.कवि जिस समाज की कल्पना करता है उसका स्वरूप कैसा होगा l
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कवि जिस समाज की कल्पना करता है उसमें कोई भी दीन-दुखी और दलित नहीं होगा। समाज के अछूत समझे जाने वाले दलित जन भी आपस में भाई-भाई होंगे और वे एक-दूसरे को प्रेम से गले लगाएँगे।
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