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“खग कुल कुल-कुल सा बोल रहा,
किसलय का अंचल डोल रहा,
लो यह लतिका भी भर लाई -
मधु-मुकुल नवल रस गागरी।"
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खग-कुल कुल-कुल-सा बोल रहा
किसलय का अंचल डोल रहा
लो यह लतिका भी भर लाई-
मधु मुकुल नवल रस गागरी'
संदर्भ व प्रसंग : यह पंक्तियां जयशंकर प्रसाद की कविता “बीती विभावरी जाग री” से ली गई हैं। इस कविता के माध्यम से कवि ने प्रातःकालीन सौंदर्य का वर्णन किया है और मानवीकरण अलंकार का सुंदर प्रयोग करके प्रातःकालीन सौंदर्य को मानव रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश की है।
व्याख्या : कवि कहता है कि पक्षियों का कलरव सुनाई पड़ने लगा है और धीरे-धीरे चलने वाली प्रातः कालीन वायु के स्पर्श से पेड़-पौधों की कोंपलों में भी थिरकन सी होने लगी है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि लताएं भी जैसे अपने नए अधिखिलें फूलों के रूप में रस की गगरी भर लाई हों।
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kis liye means kya hota hai
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