4-*लंकोर पहुंचने में लेखक को देर क्यों हुई?सुमति ने वहां उसके साथ कैसा व्यवहार किया?
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तिब्बत के लोग बड़े ही खुले दिल के होते हैं। वे किसी भी अजनबी का स्वागत खुले दिल से करते हैं। लेकिन बहुत कुछ लोगों की उस वक्त की मन:स्थिति पर निर्भर करता है। शाम के वक्त अधिकतर लोग छङ के नशे में धुत्त रहते हैं उस उस समय उनका व्यवहार बदल सकता है। इसलिए पहली बार तो लेखक को ठहरने के लिए सही जगह मिल गई। लेकिन दूसरी बार शाम हो जाने के कारण उन्हें ठहरने के लिए सही जगह नहीं मिल पाई।
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1. अपनी यात्रा के दौरान लेखक को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। एक बार उन्हें ठहरने के लिए सही जगह नहीं मिली। फिर भारी सामान पीठ पर लादकर पहाड़ी चढ़ाई पर चढ़ने में तकलीफ हुई। ठंड के मारे लेखक का बुरा हाल था। एक बार लेखक रास्ता भी भटक गया था जिसके कारण वह अपने साथियों से पिछड़ गया।
2. : उस समय का तिब्बती समाज बड़ा ही सरल था। वहाँ के सीधे सादे लोग अजनबियों का भी स्वागत खुले दिल से करते थे। लेकिन डाकुओं द्वारा या अन्य लोगों द्वारा किसी की हत्या करना आम बात थी।
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