4 मीरां की भक्ति पद्धति पर आलेख लिखिए।
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मीरा एक राजा की रानी थीं। एक बार की बात थी । कि मीरा तो अपने प्रभु की दीवानी थीं । वह रोज़ सुबह उठकर अपने प्रभु की कोठी मे जाकर वहां पर साफ सफाई करती थी । तथा उसके
प्रभु उस के सिर पर हाथ रखकर कहते थे - बेटी मीरा अब चली जाओ । फिर वह जाती हैं । तो वहां के सेनिक तो मीरा की शिकायत राजा के पास कर दी । कहां की महाराज आज रानी कहीं गयी थी । तो तभी राजा रानी से पूछता है। क्या यह बात सत्य हैं रानी मीरा। मीरा कुछ नहीं बोलती । तो तभी और दरबारी शिकायत करते हैं। महाराज सत्य है। राजा मीरा के मुँह पर थप्पड़ लगा कर राजा कहता है । मीरा अब जाओगी तुम मीरा इनकार कर देती थीं। तो अगले दिन जब वह उठती हैं तो वह दोबारा अपने प्रभु की कोठी मे जाकर वहीं काम करती हैं
और उसके प्रभु उसके सिर पर हाथ रख कर कहते है
कि बेटी मीरा तुम जाओ अब
फिर दरबारी उसकी शिकायत कर देते हैं। तो राजा कहते हैं। ऐसे ये मान नहीं रही हैं। इसे अब जेल पर ही बंधी बना ना होगा । उसे 6 महीने के बाद निकाला गया। तो राजा ने कहा अब जाएगी । मीरा कहती है। नहीं । फिर अगले सुबह उसे कल का कुछ याद नहीं वह अपने प्रभु की कोठी से आकर राजा उस पर क्रोधित हो जाते हैं। तो उसे ज़हर पीलाने की तैयारी कर रहें मीरा को कोई डर नहीं । वह तो अपने प्रभु का ध्यान कर रही तो उसके पास 7 कोडो का ज़हर एक पयाले मे लाकर मीरा को दीया। मीरा ने ना कुछ सोच कर अपने प्रभु का नाम लेकर पी लिया तो सब देखते हैं। कि इसे तो कुछ हो ही नही रहा है। तो कहते हैं कि जब वह कल और जाए तो जगल से एक बब्बर शेर लाया जाए। तो मीरा अगले दिन जाकर आ जाती हैं। तो उसे जेल पर डाल दिया जाता हैं। और कहते हैं। जब तक शेर को ना लाया जाए । तब तक तुम यही रहोगी। तो शेर को लाया गया तो मीरा तो ध्यान में बैठी थीं। तो शेर भी ध्यान में बैठ गया। तो तब पेट से ऊपर शेर था तथा पेट से निचे मानव तो उस ने अपना हाथ 14 दीवारो से निकाल कर उस राजा का गला पकड़ दीया तो मीरा ने कहा हे प्रभु ऐसा ना करे मेरे माथे से इस बिन्दु को ना जाने दे। तो तब वह शेर का रूप नरसिंह रूप कहा गया। तो ये थी मीरा की भक्ति✌✌✌is a my answer