Hindi, asked by geetanshibhatt7a, 8 months ago

4. महर्षि दयानन्द ने कैसे समझा कि अंग्रेजों के पतन के दिन निकट
आ रहे हैं?​

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Answered by Anonymous
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  • कित्तूर की रानी चेनम्मा के सेनानायक और कर्नाटक में अंग्रेजी राज के विरुद्ध सबसे प्रमुख स्तम्भ रहे सांगोली रायन्ना जन्म १७९८ में १५ अगस्त को हुआ था| रानी चेनम्मा द्वारा अपने राज्य को अंग्रेजी राज्य में विलय करने के फरमान को ठुकरा देने के पश्चात हुए युद्ध को रायन्ना ने अपनी अंतिम सांस तक किया| जब अपने पति की मृत्यु के बाद रानी चेनम्मा ने अपने राज्य को अंग्रेजों को सौंपने की मांग ठुकरा दी तो उनका अंग्रेजों के साथ संघर्ष छिड़ गया। रानी ने अंग्रेजों को कई बार बहुत बुरी तरह हराया पर अंत में 1824 में उन्हें पराजय का मुंह देखना पड़ा और उन्हें कैद कर लिया गया, जहाँ बंदी अवस्था में ही 1829 में उनकी मृत्यु हो गयी। सांगोली रायन्ना ने फिर भी हार नहीं मानी और रानी के दत्तक पुत्र को अपना राजा मान उन्होंने रानी चेनम्मा द्वारा आरम्भ किये गए संघर्ष को अनेकानेक बाधाओं के बाबजूद जारी रखा। उनका सब कुछ अंग्रेजों ने जब्त कर लिया पर कोई भी बाधा रायन्ना को अग्रेजों के सामने झुकने के लिए बाध्य ना कर सकी| अपनी गुरिल्ला युद्धपद्धति से रायन्ना ने अंग्रेजों को नाको चने चबबा दिए और अंग्रेजी सेना त्राहिमाम कर उठी| तब अंग्रेजों ने छल का सहारा लिया और रायन्ना के श्वसुर लक्ष्मण को डरा धमका कर अपनी तरफ मिला लिया| लक्ष्मण ने एक दिन नहाते समय रायन्ना को पकडवा दिया| हालाँकि रायन्ना ने संघर्ष करने का प्रयास किया पर सफल ना हो सके|
Answered by archanarai342
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