Hindi, asked by lohitakshnukkidi08, 7 months ago

4 मञ्जूषातः अव्ययपदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत
तथा, न, कदाचित्, सदा, च, अपि
अ) भक्तः
ईश्वरं स्मरति
.... वक्तव्यं
आ) असत्यं ......
इ) प्रियं ....
ई) लता मेघा ....
... सत्यं वदेत्
विद्यालयं गच्छतः​

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Answered by unicornmeghana2021
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Answer:

सं

स्‍कृत के वे शब्‍द जो सर्वदा एक जैसे ही रहते हैं (जिनमें विभक्‍ति, वचन तथा

लिङ्ग के आधार पर कोई परवर्तन नहीं होता है।) उन्‍हें अव्‍यय कहते हैं—

सदृशंत्रिषुलिङ्गेष, सु र्वास च

ु विभक्तिष ।

वचनेष च स ु र्वेषुयन्‍न व्‍येति तदव्‍ययम ।।

अव्‍यय      अर्थ

अचिरम् शीघ्र ही

यावत् जब तक

तावत् तब तक

सहसा अचानक

श्‍व: आने वाला कल

ह्य: बीता हुआ कल

शनै: शनै: धीरे-धीरे

सम्‍प्रति/साम्‍प्रतम/अध ् ना/इ ु दानीम् इस समय

अत्र यहाँ

अत्‍यन्‍तम् बहु

अथ आरम्‍भ या इसके बाद

अलम नि ् षेधार्थक (योगे तती

ृ या वि.)

पर्याप्‍त, समर्थ (योगे चतर्ुथी

विभ्‍ाक्ति)

अद्य आज

अथवा या

अपि भी

अन्‍यथा नहीं तो

अत: इसलिए

अतीव बहु

त अधिक

आम् हाँ

इतस्‍तत: इधर-उधर

इति समाप्‍त, ऐसा

उच्‍चै: जोर-जोर से, ऊँ चे

एव ही

एकदा एक बार

एवम् इस प्रकार, ऐसे

किम क्‍या

किन्‍तु परन्‍तु, न्‍तुलेकिन

कदा कब

कुत: कहाँ से

कुत्र/ क्व/ क्‍वचित क ् हाँ

च और

अभित: दोनों ओर

परित: चारों ओर

सर्वत: सभी ओर

उभयत: दोनों ओर

चेत यदि ्

चिरम द ् ेर से, देर तक

तत्र वहाँ

इत: इधर से, यहाँ से

तत: उसके बाद, वहाँ से

तथापि फिर भी

Explanation:

Answered by deepishasweety255
0

Answer:

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