Hindi, asked by s15917bprachi06622, 4 months ago

4-
निम्नलिखित ठाग्यो में क्रिया को रेखालित कीजिए
और कर्म की दृष्टि से उसके मेद का नाम लिठिय
क- नारद जी चल दिए
च-रक कलाकार की दृष्टि से कहता हूँ
ग- मे अड्डे से नई बस लाया दल
घ- सिण्ड्रेला घर में रोती रही।​

Answers

Answered by praveen77jaiswal
1

Answer:

hi

Explanation:

विवाह करना चाहते थे नारद मुनि, विष्णु जी ने रची ऐसी माया कि मिला शाप

Published By: Garima Singh | नवभारतटाइम्स.कॉम - Updated: Jul 25, 2019 13:26 pm IST

ऐसा नहीं है कि सिर्फ ईश्वर ही मनुष्य को उसके कर्मों की सजा देते हैं या जन्म-मरण निर्धारित करते हैं। कई बार भगवान को अच्छे कार्य करने पर भी शापित होना पड़ा है। यहां ध्यान देनेवाली बात यह है कि भगवान ने अनेक कष्ट सहकर भी स्वयं को मिले इन शाप को सहा है ताकि ये शाप देनेवाले व्यक्तियों का मान बना रहे। ऐसी ही एक घटना नारद मुनि से जुड़ी है, जब उन्होंने श्रीहरि विष्णु को शाप दिया था…

1/7 विष्णु भक्ति में तप पर बैठे नारद जी

नारद मुनि भगवान विष्णु की भक्ति में साधना करने बैठ गए। ज्ञानी-ध्यानी नारद मुनि को तप करते देख देवराज इंद्र को लगा कि कहीं नारद मुनि अपने तप के बल पर स्वर्ग की प्राप्ति तो नहीं करना चाहते! इस पर उन्होंने कामदेव को स्वर्ग की अप्सराओं के साथ नारद मुनि का तप भंग करने के लिए भेजा। लेकिन नारद मुनि पर कामदेव की माया का कोई प्रभाव नहीं हुआ। तब डरे हुए कामदेव ने नारद जी से क्षमा मांगी और स्वर्ग को लौट गए।

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2/7 नारद जी को हुआ अहंकार

कामदेव की माया से मुक्त रहने पर नारद मुनि को इस बात का अहंकार हो गया कि उन्होंने कामदेव पर विजय प्राप्त कर ली है। ऐसे में वह अपनी विजय का बखान करने श्रीहरि के पास बैकुंठ पहुंचे और उन्हें पूरी घटना बताने लगे कि कैसे उन्होंने कामदेव को जीत लिया। श्रीहरि विष्णु नारद जी के मन में आ चुके अहंकार को जान गए और उन्होंने अपने परम प्रिय नादर मुनि को अहंकार से मुक्त करने का निश्चय किया।

3/7 राजकुमारी पर मोहित हो गए नारद जी

जब नारद जी बैकुंठ से लौट रहे थे तो रास्ते में उन्हें एक बहुत सुंदर और समृद्ध नगर दिखा, जिसमें बहुत बड़ा राजमहल था। यह नगर श्रीहरि ने अपनी योगमाया से निर्मित किया था। नारद मुनि अपनी धुन में होने के कारण कुछ समझ नहीं पाए और इस नगर के राजमहल में पहुचें। राजा ने उनका भव्य स्वागत किया और अपनी पुत्री को बुलाकर नारद मुनि से कहा कि मुझे अपनी राजकुमारी का स्वयंवर करना है। आप इसका हाथ देखकर इसके भविष्य के बारे में कुछ बताइए।

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4/7 वैराग्य भूल गए नारद मुनि

राजकुमारी के रूप को देखकर नारद जी मोहित हो गए। जब नारद जी ने उसका हाथ देखा तो हथेली की रेखाएं देखते ही रह गए। उसकी रेखाओं के अनुसार, उसका पति विश्व विजेता रहेगा और समस्त संसार उसके चरणों में नतमस्तक होगा। नारद जी ने यह बात राजा को ना बताकर दूसरी अच्छी बातें कहीं और वहां से चले गए। राजकुमारी का रूप और उसके हाथ की रेखाएं देखकर नारद जी वैराग्य को भूल चुके थे।

5/7 विवाह की इच्छा हुई बलवती

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