Hindi, asked by anjalibarwa33, 7 months ago

4. निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 200 शब्दों में एक निबंध लिखिए।
(क) मेरे जीवन का लक्ष्य (ख) महंगाई
(ग) शिक्षित बेरोजगार
(घ) मीडिया और समाज​

Answers

Answered by raushankumar35
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Answer:

essay on media

हम एक ऐसे समय और उम्र में रहते हैं जहाँ जानकारी सिर्फ एक बटन दूर है। हम अपने चारों ओर की जानकारी द्वारा खीचे जाते हैं। हम सहस्त्राब्दि से इसके बारे में अपने मन की बात जानना, पढ़ना, समझना चाहते हैं। यहीं से सोशल मीडिया चलन में आता है। सोशल मीडिया उन सबसे बड़े तत्वों में से एक है, जिनके साथ हम रहते हैं और इसे अनदेखा नहीं कर सकते।

सोशल मीडिया वेबसाइटों, अनुप्रयोगों और अन्य प्लेटफार्मों का संग्रह है जो हमें सामग्री साझा करने या बनाने में सक्षम बनाता है और हमें सामाजिक नेटवर्किंग में भाग लेने में भी मदद करता है। सोशल मीडिया केवल ब्लॉगिंग और चित्रों को साझा करने तक सीमित नहीं है, बहुत सारे मजबूत उपकरण भी हैं जो सोशल मीडिया प्रदान करता है। इसलिए कि सोशल मीडिया का प्रभाव बहुत अधिक है और दूरगामी है। यह चित्र बना या तोड़ सकता है।

लेकिन सोशल मीडिया आज विवाद का विषय है, कई लोग इसे एक वरदान मानते हैं लेकिन एक बहुमत है जो महसूस करता है कि यह एक अभिशाप है। ज्यादातर लोगों को लगता है कि सोशल मीडिया ने मानव संपर्क को तेजी से नष्ट कर दिया है और आधुनिक मानव संबंधों को संशोधित किया है।

लेकिन अन्य लोग हैं जो महसूस करते हैं कि यह एक आशीर्वाद है जिसने हमें दुनिया के हर हिस्से से जोड़ा है, हम अपने प्रियजनों से मिल सकते हैं जो दूर हैं, हम इसके माध्यम से जागरूकता फैला सकते हैं, हम सुरक्षा चेतावनी आदि भेज सकते हैं। जो सोशल मीडिया कर सकता है। लेकिन यह एक तथ्यहीन तथ्य है कि सोशल मीडिया की उपस्थिति ने हमारे जीवन को सुविधाजनक, आसान और बहुत तेज बना दिया है।

Explanation:

essay on samaj

मनुष्य को सामाजिक प्राणी कहा जाता है इसका अर्थ है मानव समाज के लिए है तथा समाज मानव के लिए हैं. दोनों का अस्तित्व पूरी तरह से एक दूसरे पर आश्रित है पूरक हैं. मानव ने स्व भावना का त्याग कर पर भावना को आधार बनाकर समाज बनाया तो समाज ने भी मानव के सर्वांगीण विकास में अहम भूमिका अदा की.

आदि मानव जब पृथ्वी पर बसने लगा तो सुरक्षा, भोजन, परस्पर सहायता के कारण वह अकेले जीवन नहीं बिता पाया अतः उसने दूसरे से मदद ली तथा दूसरो की मदद भी की. इस तरह समाज व परिवार एक दूसरे से अभिन्न बन गये. किसी राष्ट्र या वर्तमान के देशों का स्वरूप भी इसी तरह निर्मित हुआ, व्यक्ति से समाज, समाज से नगर और नगर से छोटे छोटे राज्य और राष्ट्र का निर्माण हुआ.

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