(4) ओज गुण से युक्त कोई दो पक्तियाँ लिखिए।
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ओज गुण की परिभाषा क्या है?
ओज गुण
ओज का शाब्दिक अर्थ है तेज, प्रताप और दीप्ति |
जिस काव्य को पढने या सुनने से ह्रदय में ओज, उमंग और उत्साह का संचार होता है, उसे ओज गुण प्रधान काव्य कहा जाता हैं ।
यह गुण मुख्य रूप से वीर, वीभत्स, रौद्र और भयानक रस में पाया जाता है ।
(अ) इस प्रकार के काव्य में कठोर संयुक्ताक्षर वाले वर्णों का प्रयोग होता है ।
(ब) इसमें संयुक्त वर्ण 'र' के संयोगयुक्त ट, ठ, ड, ढ, ण का प्राचुर्य होता है |
(स) समासाधिक्य और कठोर वर्णों की प्रधानता होती है।
उदाहरण 1.
बुंदेले हर बोलों के मुख से हमने सुनी कहानी थी ।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी ।
उदाहरण 2.
हिमाद्रि तुंग श्रृंग से प्रबुध्द शुध्द भारती ।
स्वयं प्रभा, समुज्जवला स्वतंत्रता पुकारती ।
उदाहरण 3.
हाय रुण्ड गिरे, गज झुण्ड गिरे, फट-फट अवनि पर शुण्ड गिरे |
भू पर हय विकल वितुण्ड गिरे, लड़ते-लड़ते अरि झुण्ड गिरे |
Explanation:
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Explanation:
चंद्रमा को किसने बनाकर अपने सिर पर धारण किया था