(4) ओज गुण से युक्त्त कोई दो पक्तिया लाख
श्न :- आधुनिक काल को कितने युगो में विभाजित किया गया है।
अथवा
छायावादी कविता की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
श्न 7-रहस्यवाद तथा छायावाद में अन्तर बताइये।
अथवा
प्रगतिवादी काव्य का परिचय दीजिए।
श्न 8-केशवदास जी द्वारा रचित वन्दना में किस किस की वन्दना की गई है?
अथवा
चन्द्रमा को किसने कलंक कर अपने सिर पर धारण किया?
श्न -मैया मै नाहीं दधि खायो। कोन जिससे क्या कह रहा है स्पष्ट कीजिए।
अथवा
मैया कबहि व दैयी चोरी। कोन किससे पूछ रहा है और किस भाव के हे
श्न 10- हमको लिखयो है कहा गोपियों यह प्रश्न किससे पूछ रही है।
STATET
Answers
सारे प्रश्नों का उत्तर एक साथ देना संभव नही। चुनिंदा तीन प्रश्नों के उत्तर इस प्रकार हैं...
O ओज गुण से युक्त्त कोई दो पक्तिया लिखिये।
► ओज गुणों से युक्त दो पंक्तियाँ है...
बुन्देले हरबोलों के मुख हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मरदानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
अथवा..
मुझे तोड़ लेना वनमाली, उस पथ देना तुम फेंक।
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने, जिस पथ जायें वीर अनेक।।
‘ओज’ गुण से तात्पर्य काव्य के उस गुण से होता है, जिसको पढ़ने या सुनने से चित्त की वृत्ति उत्तेजित होकर जागृत हो उठती है, और उत्तेजना का अनुभव होने लगता है। ‘वीर रस’ रस के अधिकतर काव्यों में ‘ओज’ गुण की प्रधानता रहती है।
O केशवदास जी द्वारा रचित वन्दना में किस किस की वन्दना की गई है?
►केशवदास द्वारा रचित ‘वदना’ शीर्षक में केशवदास ने भगवान श्री गणेश और माँ सरस्वती की वंदना की है। सरस्वती की वंदना करते हुए केशवदास कहते हैं कि जगत की स्वामिनी श्री सरस्वती की उदारता का वर्णन कर सके, ऐसी बुद्धि किसी में नहीं है। बड़े-बड़े सिद्ध, देवता, ऋषि, राजा भी उनकी उदारता का वर्णन पूर्ण रूप से नहीं कर पाए हैं अनेक लोगों ने उनकी उदारता का वर्णन करने की चेष्टा की लेकिन वह उसकी था नहीं पा सके।
O चन्द्रमा को किसने कलंक कर अपने सिर पर धारण किया?
► चंद्रमा को कंलक मुक्त करने के लिये भगवान ‘शिव’ ने अपने सिर पर धारण किया। तभी से भगवान शिव ‘सोमनाथ’ कहलाये।
एक बार चंद्रमा ने भगवान श्री गणेश के सूंड वाले स्वरूप को देखकर उनकी उनका उपहास उड़ाया। इससे श्री गणेश ने क्रोधित होकर चंद्रमा को क्षय यानी नष्ट हो जाने का श्राप दे दिया। चंद्रमा को तब अपनी भूल का अहसास हुआ और उसने अपनी जान बचाने के लिए भगवान शिव की घोर तपस्या की। तब भगवान शिव ने चंद्रमा को अपने सिर पर धारण किया, इससे चंद्रमा की जान बची। बाद में चंद्रमा ने भगवान गणेश से क्षमा मांगी और श्री गणेश ने उन्हें क्षमा करते हुए कहा उसे श्राप मुक्त करते हुए कहा कि हर पक्ष में सिर्फ 15 दिन तुम्हारा क्षय हुआ करा करेगा। आगे के 15 दिन में तुम पूर्ण हो जाओगे।
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