4.पुलिस सुपरिंटेंडेंट नाट बावर से चंद्रशेखर आजाद के संघर्ष का वर्णन कीजिए।
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बात सन 1925 की है. आठ डाउन पैसेंजर गाड़ी के दूसरे दर्जे के डिब्बे में अशफ़ाकउल्ला, शतीद्रनाथ बख़्शी और राजेंद्र लाहिड़ी सवार हुये. उन्हें ये काम सौंपा गया था कि वो निश्चित स्थान पर ज़ंजीर खींच कर ट्रेन खड़ी करवा दें.
बाकी सात लोग: रामप्रसाद बिस्मिल, केशव चक्रवर्ती, मुरारी लाल, मुकुन्दी लाल, बनवारी लाल, मन्मथ नाथ गुप्त और चंद्रशेखर आज़ाद उसी ट्रेन के तीसरे दर्जे के डिब्बे में सवार थे.
उनमें से कुछ को गार्ड और ड्राइवर को पकड़ने को काम सौंपा गया था जबकि बाकी लोगों को गाड़ी के दोनों ओर पहरा देने और ख़ज़ाना लूटने की ज़िम्मेदारी दी गई थी.
जिस समय गाड़ी की ज़ंजीर खींची गई, तब अँधेरा हो चला था. गार्ड और ड्राइवर को पेट के बल लिटा दिया गया और तिजोरी को ट्रेन से नीचे गिरा दिया गया. तिजोरी काफ़ी वज़नी और मज़बूत थी. हथौड़ों और छेनी से उसे तोड़ा जाने लगा.