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प्र.25 निम्नलिखित गद्यांश की सन्दर्भ - प्रसंग सहित व्याख्या कीजिए।
"दोनों दिन
जाते, डंडे खाते, अड़ते। शाम को थान पर बाँध दिए
जाते और रात को वही बालिका उन्हें दो रोटियाँ खिला जाती।
-
भर जोते
प्रेम के इस प्रसाद की यह बरकत थी कि दो- दो गाल सूखा भूसा खाकर भी दोनों
रोम में विद्रोह भरा हुआ था।"
दुर्बल न होते थे, मगर दोनों की आँखों में, रोम
अथवा
"मुझे लगता है, तुम किसी सख्त चीज़ को ठोकर मारते रहे हो। कोई चीज़ जो परत
पर – परत सदियों से जम गई है, उसे शायद तुमने ठोकर मार – मारकर अपना
जूता फाड़ लिया। कोई टीला जो रास्ते पर खड़ा हो गया था, उस पर तुमने अपना
जूता आज़माया।"
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