Hindi, asked by ravinder12346, 6 months ago


4. “प्रार्थना करने वाले होठों से कहीं अच्छे सहायता करने वाले हाथ हैं।''- पंक्ति
भाव स्पष्ट कीजिए। आप किसकी सहायता करना चाहते हैं? आपकी कौन-कौन
सहायता करता है?​

Answers

Answered by jhanvichampawat
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बहुत लोग अपने अच्छिन्न कष्टों का बयान करते हुए ईश्वर से शिकायत करते हैं कि उन्हींने उनके प्रति कोई दया नहीं दिखाई है. ऐसे व्यक्तियों के लिए रामायण की एक घटना से सबक सीखना लाभदायक होगा.

विभीषण की हनुमान से मित्रता होने के बाद, एक बार उन्होंने हनुमान से पूछा, “हनुमान! हालाँकि तुम वानर हो, तुम प्रभु की कृपा के प्राप्तकर्ता हो.

यद्यपि मैं निरंतर भगवान राम के ध्यान में लगा हुआ हूँ, फिर भी ऐसा क्यों है कि मैंने उनकी अनुकम्पा हासिल नहीं की है?” हनुमान ने उत्तर दिया, “विभीषण! यह सत्य है कि तुम निरंतर राम नाम का स्मरण करते हो. परन्तु तुम भगवान राम के कार्य में किस हद तक जुटे हो? भगवान राम के नाम मात्र का ध्यान करने से तुम उनकी कृपा प्राप्त नहीं कर सकते. जब तुम्हारे भ्राता, रावण माता सीता को उठा ले गए थे, तब तुमने सीता देवी की क्या मदद की थी? क्या तुमने भगवान राम की परेशानी को आंशिक रूप से भी कम करने के लिए कुछ किया था?”

ईश्वर के प्रति अपनी श्रद्धा प्रदर्शित करने के लिए मात्र प्रार्थना करना पर्याप्त नहीं है. हमें उनकी शिक्षा को अभ्यास में लाना है. इस कार्यप्रणाली का एक साधन ज़रूरतमंद लोगों से प्रेम व उनकी सेवा करना है. करनी कथनी से ताकतवर होती है.

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