4. प्रस्तुत कहानी में प्रेमचंद ने गधे की किन स्वभावगत विशेषताओं के आधार पर उसके प्रति रूढ़
अर्थ 'मूर्ख' का प्रयोग न कर किस नए अर्थ की ओर संकेत किया है?
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- जानवरों में गधा सबसे ज्यादा बुद्धिहीन समझा जाता है हम जब किसी आदमी को पहले दर्जे का बेवकूफ कहना चाहते हैं तो उसे गधा कहते हैं गधा सचमुच बेवकूफ है या उसके पीछे पर उसकी निरापद सहिष्णुता ने उसे यह पदवी दे दी है उसका निश्चय किया जा सकता है गधा कभी क्रोध नहीं करते सुना ना देखा जितना चाहे गरीब को मारो चाहे जैसा खराब चढ़ी हुई घाट समान डाल दो उसके चेहरे पर कभी भी असंतोष की छाया ना दिखाई देगी वैशाख में चाहे एक आद बार गुलेल कर लेता हूं पर हमने तो उसे कभी खुश होते हुए नहीं देखा उसके चेहरे पर एक विचार स्थाई रूप से छाया रहता है सुख-दुख हानि लाभ किसी भी दशा में उसे बदलते नहीं देखा ऋषि मुनियों ने जितने गुण हैं वे सभी उसने पराकाष्ठा के पहुंच गए हैं वह पर आदमी उसे बेवकूफ कहता है सद्गुण का इतना अनादर कहीं नहीं देखा कदाचित संसार सीधा पन के लिए उपयुक्त नहीं है
- गधे के लिए मूर्ख शब्द का प्रयोग ना कर कर उसको लिए साधु संत आदि शब्दों का प्रयोग किया गया है
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