Hindi, asked by ettedirevanth40, 7 days ago

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पायो जी म्हें तो राम रतन धन पायो।
वस्तु अमोलक दी म्हारे सतगुरु, किरपा कर अपनायो।
जनम-जनम की पूँजी पायी, जग में सभी खोवायो।
खरच न खूटे, चोर न लूट, दिन-दिन बढ़त सवायो।
सत की नाव खेवटिया सतगुरु, भवसागर तर आयो।
मीरा के प्रभु गिरिधर नागर, हरख-हरख जस गायो।।bhaav​

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Answered by shyamkisorshyamkisor
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Answer:

पायो जी म्हें तो राम रतन धन पायो।

वस्तु अमोलक दी म्हारे सतगुरु, किरपा कर अपनायो।

जनम-जनम की पूँजी पायी, जग में सभी खोवायो।

खरच न खूटे, चोर न लूट, दिन-दिन बढ़त सवायो।

सत की नाव खेवटिया सतगुरु, भवसागर तर आयो।

मीरा के प्रभु गिरिधर नागर, हरख-हरख जस गायो।।

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