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शिक्षक हवा ग्राम विद्यालय
पवन स्कूल देहात अध्यापक पवन स्कूल देहात अध्यापक 2. चित्र देखकर लगभग 40-50 शब्दों में अपने विचार लिखिएः
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शिक्षा नाम सुनते ही बहुत सी चीजें ख्याल में आती हैं, जैसे स्कूल, यूनिफॉर्म, क्लास, किताबें, वगैरह वगैरह। कहते हैं, शिक्षा अच्छी हो तो भविष्य भी अच्छा बनता है। इस कड़ी में हम लखनऊ के तकवा प्राइमरी विद्यालय पहुंचे। यहां कक्षाएं तो एक से पांच तक लगती हैं लेकिन पढ़ाने वाला शिक्षक सिर्फ एक है।शिक्षा के क्षेत्र में सरकार ने कई अभियान चलाए, कई नीतियां लागूं कीं, लेकिन जमीनी स्तर पर कितना काम हुआ है। इसका पता आपको इस प्राइमरी स्कूल को देखकर मिल जाएगा। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस स्कूल का ताला नन्हे बच्चे खुद खोलते हैं। स्कूल की इस व्यवस्था को जानने की जिज्ञासा बढ़ी तो हम सीधे प्रधानाध्यापक के पास पहुंच गए। जब हमने बच्चों से बात की तो उन्होंने बताया की स्कूल का ताला हम ही खोलते हैं क्योंकि यहां कोई कर्मचारी नहीं है। स्कूल का घंटा कभी प्रधानाध्यापक बजाते हैं, तो कभी बच्चे। यहां तक कि बिजली का बिल और सफाई के लिए सर्वजीत लाल सेन अपनी जेब से पैसे खर्च करते हैं। कभी कभी कुछ स्कूलों से ट्रेनीज आ जाते हैं जिससे सर्वजीत जी को आसानी हो जाती हैअब सोचने की बात ये है कि राजधानी लखनऊ के विद्यालय का ये हाल है, तो ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों का क्या हाल होगा। अगर शिक्षा व्यवस्था ऐसी रही तो बच्चों के भविष्य का अंदाजा आप खुद ही लगा सकते हैं।