4 prakar ke karm kon se hain? Unke naam or svaroop bataiye.
Answers
कर्म तीन प्रकार के होते हैं- प्रारब्ध कर्म, संचित कर्म और क्रियमाण कर्म।
मान लो हजारों मन अनाज का ढेर पड़ा है, उसमें से आपने दस किलो अनाज पीसकर आटा बना लिया, तो जितने समय तक आप अनाज को सँम्भालकर रख सकते हैं, उतने समय तक आटे को सँभालकर नहीं रख सकते हैं। आटा जल्दी बिगड़ जाता है। अतः उसका सदुपयोग कर लेना पड़ता है। उस आटे को खाकर आप में शक्ति आयेगी, उससे आप काम करेंगे।
तो अनाज का जो ढेर है – वह है संचित कर्म। आटा है प्रारब्ध कर्म और वर्तमान में जो कर रहे हैं वह है क्रियमाण कर्म। आपके कर्मों के बड़े संचय में से अपने जरा-से कर्मों को लेकर आपने इस देह को धारण किया है। बाकी के संचित कर्म संस्कार के रूप में पड़े हैं।
किसके घर में जन्म, किसके साथ विवाह और कब मृत्यु – यह आप प्रारब्ध से ही लेकर आये हैं। जन्म प्रारब्ध के अनुसार हुआ है, शादी भी जिसके साथ होनी होगी, हो जायेगी और मृत्यु भी जब आने वाली होगी, आ ही जायेगी। संचित कर्म संस्कार के रूप में पड़े हैं, प्रारब्ध लेकर जन्मे और वर्तमान में जो कर रहे हैं – वे हैं आपके क्रियमाण कर्म।
ज्ञानी हो या अज्ञानी, भक्त हो या अभक्त, योगी हो या भोगी… प्रारब्ध का प्रभाव सबके जीवन पर पड़ता है। जैसे किसी का प्रारब्ध बढ़िया है, फिर वह भले ही दसवीं पढ़ा हुआ क्यों न हो ? महीने में वह हजारों लाखों कमा लेता है और कई होशियार हैं, पढ़े लिखे भी हैं, परन्तु प्रारब्ध साथ नही देता है तो सर्टीफिकेट लेकर घूमते हैं फिर भी नौकरी नहीं मिलती है।
किन्तु केवल प्रारब्ध का ही प्रभाव नहीं होता है, प्रारब्ध के साथ वातावरण का भी असर होता है, समाज का भी असर होता है और राजनीति का भी असर होता है। यह सब मिश्रित होता है। अतः केवल प्रारब्ध के भरोसे नहीं बैठे रहना चाहिए।
जैसे क्रियमाण कर्म करते हो, उसके हिसाब से प्रारब्ध बनता है। यदि आपने अच्छे कर्म किये तो उसके फलस्वरूप स्वर्ग मिलेगा, लेकिन पुण्य का प्रभाव क्षीण होते ही स्वर्ग से गिराये जा सकते हो। पुनः संचित कर्म के प्रभाव से धरती पर आना पड़ेगा और यदि पाप कर्म किये तो आपको नरक का दुःख भोगना पड़ता है।
इस प्रकार जब तक ज्ञानाग्नि से इस जीव के सब कर्म जल नहीं जाते, तब तक जन्म मरण होता ही रहता है। जीव बेचारा सुख-दुःख के थपेड़े खाता ही रहता है। गीताकार श्रीकृष्ण ने कहा हैः
यथैधांसि समिद्धोsग्निर्भस्मसात्कुरुतेsर्जुन।
ज्ञानाग्निः सर्वकर्माणि भस्मसात्कुरुते तथा।।
चार प्रकार के कर्म कौन से हैं उनके नाम और स्वरूप लिखिए
चार प्रकार के कर्म कौन से हैं उनके नाम और स्वरूप लिखिएअच्छे कर्म . बुरे कर्म . भाग्य कर्म . गंदे कर्म।
karam ke char prakar Hain