Hindi, asked by shivakumar976055, 6 days ago

4. रावण वासना का प्रतीक है और हनुमान सेवा भावना के प्रतीक हैं। रावण सीता माता का उपभोग करना चाहता था और उन्हें राम से छीन लेना चाहता था। हनुमान सीता माता को राम के पास वापस ले जाना चाहते थे। वासना का अर्थ है स्वार्थ और प्रेम का अर्थ है ईश्वर की सेवा। किस तरह सेवा की भावना इंद्रिय तृप्ति की प्रवृत्ति में परिवर्तित हो जाती है ? और किस तरह जीव काम वासना की प्रवाह में बह जाता है ?​

Answers

Answered by kamilkaja
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Answer:

उसकी बुद्धि और विवेक काम करना बंद कर देते हैं, और वह ऐश्वर्य को ही सब कुछ समझने लगता है। उसकी बुद्धि वासना और विषय वस्तु में ही सीमित हो जाती है और वह कामवासना के प्रवाह में बहता चला जाता है। इसके लिए आवश्यकता से अधिक ऐश्वर्य ही जीव को कामवासना की प्रवाह में धकेलने के लिए उत्तरदायी होता है।

Explanation:

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Answered by Anonymous
3

Explanation:

सीता को बड़े संकट में देखकर, उन्होंने हनुमान को राम के जन्म, विवाह, पलायन, सीताहरण, आदि की कहानी पेड़ पर बैठे बताई, हनुमान की यह अमृतवाणी सुनकर सीताजी काफी संतुस्ट हुई। फिर हनुमानजी ने कहा -मुझे श्री राम ने भेजा है। उसने सोचा, यह कहीं आसुरी माया तो नहीं!अद्भुत रामायण में उल्लेख है कि 'रावण कहता है कि जब मैं भूलवश अपनी पुत्री से प्रणय की इच्छा करूं, तब वही मेरी मृत्यु का कारण बने। ' रावण के इस कथन से ज्ञात होता है कि सीता रावण की पुत्री थीं।

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