Hindi, asked by akshita1290, 1 year ago

| 4. धरोहर संरक्षण पर दो मित्रों के बीच संवाद लिखिए |​

Answers

Answered by MotiSani
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पहला दोस्त : पिछ्ले दिनों मैनें अखबार में देश की धरोहरों के ऊपर छपे एक लेख को पढ़ा और वह पढ़ने के बाद मुझे एहसास हुआ की हमारी संस्कृति और हमारी धरोहर को सुरक्षित रखने की कितनी बड़ी ज़िम्मेदारी हम सबके ऊपर है।

दूसरा दोस्त : हमारे देश की संस्कृति बाकी देशों से बिल्कुल भिन्न है और यही हमारी पूंजी है। इस धरोहर की रक्षा हमारा कर्तव्य बनता है।

पहला दोस्त : कह तो तुम ठीक रहे हो परंतु इस बात को लोगों को समझाना पड़ेगा और यह केवल हम दोनों नहीं कर सकते।

दूसरा दोस्त : हम ज़रूर कर सकते हैं, लोगों को जागरुक करने के लिए हम अपने दोस्तों की मदद ले सकते हैं।

पहला दोस्त : यह बिल्कुल सही सोचा तुमने। कल विद्यालय जाकर इस बात के बारे में चर्चा करेंगे और सबकी राय लेंगे।

दूसरा दोस्त : केवल दोस्तों की ही नहीं अध्यापकों से भी इस विषय में चर्चा करेंगे। उनका सुझाव भी हमारे उद्देश्य के लिए ज़रूरी होगा।

Answered by shailajavyas
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Answer:( धीरज और उसके मित्र रोहन कोणार्क सूर्य मंदिर को देखते हुए संवाद आरंभ करते है ।)

धीरज : "हमारे देश की संस्कृति की भव्यता की पहचान इन्हीं सुंदर कलाकृतियों एवम् शिल्प कलाओं के माध्यम से प्रतिबिंबित होती है । "

रोहन: "हां मित्र, अतएव इन अतीत की विरासत का सरकार ने संरक्षण करना चाहिए। "

धीरज : "सरकार तो अपनी तरफ से करती ही हैं किन्तु हम नागरिकों का भी दायित्व है कि हम इसे सुरक्षित रखने में मददगार हो । "

रोहन : "हां बात तो तुम सही कह रहे हो ।"  

धीरज : वस्तुत: मित्र, मैने देखा है कि कई बार हमारे कई दर्शक इन कलाकृतियों के साथ छेड़छाड़ करने से नहीं चूकते । ये कलाएँ अब मात्र सेल्फी लेने का साधन बनकर रह गई  है|  

रोहन : "ये सरासर गलत है ,ऐसा नहीं होना चाहिए। जहां कला व कलाकारों का सम्मान होता है वहीं विकास के साथ-साथ परंपरागत सांस्कृतिक मूल्यों का सम्मान तथा सांस्कृतिक संरक्षण होता है ।"  

धीरज : "हमारे देश की संस्कृति अत्यन्त समृद्ध हैं । इन ऐतिहासिक धरोहरों द्वारा ये सिद्ध भी होता है ।"  

रोहन : "इन विरासतों में कलाकारों की अपार सृजन शक्ति एवम् परिश्रम के साथ दिव्य कल्पनाशक्ति छुपी हुई हैं ।"

धीरज : "हाँ, सो तो है | कलाओं द्वारा हमारा व्यक्तित्व निखरता है | ये सूर्यमंदिर हो या अन्य कोई ऐतिहासिक इमारत ,ये सभी हमारे जीवन का श्रृंगार करती है उसे सुंदर बनाती है जिस प्रकार हम आभूषणों द्वारा स्वयं को सजाते है | "

रोहन : "इनके दर्शन तथा अवलोकन से हमारे भीतर उत्साह का संचार होता हैं | "

धीरज : "उल्लेखनीय है कि परंपरागत धरोहरों के लिए हमारे देश के कई राज्य समृद्धशाली है |"  

रोहन : "यदि हम अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का मूल्य समझकर भौतिकवादी विकास की चकाचौंध संस्कृति से दूर रहेंगे, तभी अपनी धरोहर को सहेज कर रख पाएंगे ।"

धीरज : "हाँ, और हम सबको एकजुट होकर इनका संरक्षण प्रत्येक परिस्थिति में करना ही होगा ताकि हमारी भावी पीढ़ियाँ भी हमारे गौरवशाली अतीत से परिचित हो सकें |"

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